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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री पादुका मंदिर पीपली चौक, निम्बाहेड़ा एक प्राचीन देवरी (छतरी) बनी हुई है मान्यता यह है कि यह छतरी 1000 वर्ष प्राचीन है।छतरी पक्की व जाली के दरवाजा लगा है।देवरी में 29"x10"ऊँचे स्तम्भ के बीच पादुका स्थापित है।
यहाँ बच्चे बीमार होने पर मन्नतें मांगी जाती हैं, स्वस्थ होते हैं, विवाह होने पर नवदम्पति यहाँ नमन करने आते हैं। पादुका किसकी है। ऋषभदेव भगवान की पादुका कहलाती है और एक स्थान पर अस्पष्ट ऋषभदेवपढ़ने में आता है।
श्री जिनकुशलसूरि दादा वाड़ी मंदिर, निम्बाहेड़ा
यह मंदिर निम्बाहेड़ा नगर के मध्य में स्थित है। श्री जिनकुशल सूरि खरतरगच्छ के तृतीय दादा की छतरी के नाम से विख्यात है
और इस छतरी में 12" x 12" के श्वेत पाषाणी पट्ट पर श्री जिनकुशल सूरि की पादुका स्थापित है।
यह छतरी श्री पुनमचंद पारख ने संवत् 1240 में बनाने का लेख है। जो सर्वथा अविश्वसनीय है। संभवत उत्कीर्ण करने वाले ने भूल कर दी जानकारी करने पर यह भी स्पष्ट हुआ कि निर्माणकर्ता पारख परिवार के अभी से तीसरी पीढ़ी के
पूर्व के है अर्थात् संवत् 1240 के स्थान पर संवत् 1840 या 1940 संभव हो सकता है।
इसकी देखरेख खरतरगच्छ ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री गजेन्द्र भंसाली व मंत्री श्री सोहनलाल बोथरा द्वारा की जाती है।
सम्पर्कसूत्र-मोबाइल : 9414166391 ational
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