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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री चन्द्रप्रभ भगवान की 6" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर संवत् 1503 का लेख है। श्री सिद्धचक्र ताम्बे का गोलाकर 7' का है। श्री पार्श्वनाथ भगवान का यंत्र 4.4" x 5' का है। उसी पर कलिकुण्ड
पार्श्वनाथ लिखा हुआ है। 6-7 मांत्रिक यंत्र ताम्बे का 8" x 7.5", 9" x 9' का है। 8-9 श्री पार्श्वनाथ भगवान का ताम्बे के पतरे का बिंब 9" x 9", 10" x 10' का
10. चतुर्विंशति ताम्बे की 9' गोलाकार है। इस पर सं. 1946 का लेख है।
11. बीस स्थानक यंत्र गोलाकार 15” का है। बाहर देवरी के आलिओं में:
1. श्री पद्मावती की श्वेत पाषाण की 17" ऊँची प्रतिमा है। 2. श्री चक्रेश्वरी देवी की श्वेत पाषाण की 16" ऊँची प्रतिमा है। 3. श्री माणिभद्र की श्वेत पाषाण की 16" ऊँची प्रतिमा है।
श्री जिनेश्वर भगवान की चरण पादुका श्वेत पाषाण की पट्ट पर स्थापित
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5. श्री पार्श्वनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 11" ऊँची प्रतिमा है। .. 6. श्री आदिनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 11" ऊँची प्रतिमा है। 7. श्री राजेन्द्र सूरि जी श्वेत पाषाण की 19" ऊँची प्रतिमा है। 8. देवी – देवता का पट्ट स्थापित है। 9-12 क्षेत्रपाल की 19" ऊँची तीन प्रतिमाएं स्थापित है व एक 31" ऊँची प्रतिमा हैं।
वार्षिकध्वजा ज्येष्ठ सुदि2 को चढ़ाई जाती है। समाज की ओर से इसकी देखरेख श्रीरतनसिंह जी पारख एवं परिवार द्वारा की जाती
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