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________________ 5 (4) षंडेर गऐ श्री पार्श्वनाथ चैत्ये देवकुलिका श्री आदिनाथश्च कारितं प्र. वादींउ श्री धर्म्मघोष सूरि पट्टाक्रमें श्री आनंद सूरि शिष्य अमलप्रभ सूरिभिः ।। (2) (1) संवत् 1362 वर्षे पौष सुदि रवौ श्री चित्रकूट स्थाने महाराजाधिराज पृथ्वी चंद्र (1) (2) मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 (1) (2) ल देव तृ हेमश्री कुमारसिह तथा सा. तेजा भार्या लीलु पुत्र धरणिग पूनसीह पुत्रादि धर्म्म कुटंब समुदये पितृ सा. काढ श्रेयसे सा. पाल्हाकेन श्री Jain Education International श्री मालदेव पुत्र श्री वणवीर सरकं सिलहदार महमदेव सुहड सींह मबंकरा सत्कं पुत्र दिवं गतं तस्य सत्कं गोमट कारापितं । । ।। ॐ ।। स्वस्ति ।। संवत् वर्षे ।। माघ मासे शुक्र पक्षे पंचम्यां तिथौ बुध वारे श्रीमाल ज्ञातीय मडलिया गोत्रे सा. बाहरू सा. धाना मा. इल्हा पु. सं. हेमराज स. थिरराज सं. लोलू सं. सं. गइपाल कु दे पुत्र सा. हेमराज पुत्र समुद्रपाल भार्या श्रेयसे श्री पार्श्वनाथ बिंचं कारापितं प्रतिष्ठितं श्री खरतर गच्छे श्री जिनप्रभ सूरि अन्वये । श्री जिनसर्व सूरि पट्टे श्री जिनचंद सूरिभिः । । ।। ॐ ।। स वर्षे ज्येष्ठ सुदि 3 बुधवारे श्री ऊकेश वंशे नाहट शाखायां । सा. माजण पुत्र सा. व णवरी पुत्र सा. भीमा । वीसल रणपाल प्रमुख पौत्रादि परिवार सहितेन श्री करटक स्थान श्री पार्श्व नाथ भुवने श्री विमलनाथ देवस्य देवकुलिका कारापिता । । प्रतिष्ठिता श्री खरतर गच्छे श्री जिनवर्द्धन सू (4) रीणामुनक्रमें श्री जिनचंद्र सूरि पट्ट कमलमार्तड मंडलिः श्रीभद्रिन सागर सूरिभिः “शिवमस्तु” (5) वरसंग देवराज पुन्यार्थ।। For Personal& 154 Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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