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________________ न् र र 9. Jain Education International 13. 10-12 श्री जिनेश्वर भगवान की 4, 5, 4" ऊँची धातु की प्रतिमा है। ये प्रतिमा सीमेन्ट से स्थापित है। लेख पीछे की ओर होने से अपठनीय है। 14. 15 16. 30. 31. श्री जिनेश्वर भगवान की 3" ऊँची धातु की प्रतिमा है। 17. श्री पार्श्वनाथ भगवान की 4.5 ऊँची धातु की प्रतिमा है। 18-19 श्री जिनेश्वर भगवान की 5 व 6" ऊँची धातु की प्रतिमा है। 20-28 श्री पार्श्वनाथ भगवान की 7, 9, 7", 7", 6", 5", 5", 6" व 5.5 ऊँची धातु की प्रतिमाएँ है । 29 देवी की 4.5" ऊँची धातु की प्रतिमा है। जिन मंदिर से बाहर निकलते समय दाईं ओर कारनिस पर सभामण्डप में : - 32. श्री जिनेश्वर भगवान की श्याम पाषाण की 6" ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख व लाछंण नहीं है । 33. मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 श्री नेमीनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 17" ऊँची प्रतिमा है। लाछंण स्पष्ट है व लेख नहीं है । श्री शांतिनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 27" ऊँची प्रतिमा है। इसके नीचे लेख है – संवत् 1081 आषाढ शुदि-5 श्री पार्श्वनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 14" सर्प के छत्र तक 19" परिकर सहित 25" ऊँची प्रतिमा है। श्री जिनेश्वर भगवान की 4.5 ऊँची धातु की प्रतिमा है। सीमेन्ट से स्थापित है। श्री सिद्धचक्र यंत्र गोलाकार 4" का है। 96 प्रतिमा पट्ट श्वेत पाषाण का है। इस पर कोई लेख नहीं है। संभवतयावर्तमान, भूत- भविष्य की चौबीस तीर्थंकर (72), विरहमान (20) व जिनेश्वरदेव (4) 96 प्रतिमाओं का पट्ट है। श्री आदिनाथ भगवान की श्याम पाषाण की 10" ऊँची प्रतिमा है। इस पर लेख है - संवत् 1916 मिती वैशाख सुदि 11 For Personal & 143 Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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