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________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 हथियाणा मंदिर के ताम्रपट्ट की प्रति निम्न प्रकार से है: श्री रामो जयति श्री गणेसप्रसादातु श्री एकलिंग प्रसादातु भाला व सही का निशान ।। महाराजा धिराज महाराणा श्री जगत सिंघजी आदेशातु जती सा बलूसागर चेला भागचंद कस्य ग्राम हीथ्याणों पडगने कपासण रे थुवे चावरे जणी माहे थी धरती वीघा 25 पच्चीस गोरमो तथा पीवल देवरों व एक ठाकुर श्री चुत्रभुजजी रो देवरो एक श्री पारसनाथजी रो करायो जणां रे वागा तथा भोग सामगरी सारू अनुष्ठान लागत सरब सुधी ऊदक आधार करे श्री. रामार्पण कीधी स्वदत्तां परदत्तां वाये हरंति वसुधरा षष्ठि वर्ष सहस्त्राणी वीष्ठा वाजाय क्रर्म प्रत दुवे पंचोली देवकरण लिष्तु पंचोली केसो राय लषमणोत संवत् 1802 वर्षे जेठ सुदी 9 सीनु ।। एक से साढा तैरा (1-1311) पंक्तियों में यह ताम्रपत्र उत्कीर्ण है। महाराणा जगत सिंघजी द्वितीय (1790 संवत् 1807) 18 वर्ष राज्य किया। यदि सिर पर बोझ (Tension) रखते हैं तो भगवान रिखसक जाते हैं । Jain Education International For Persaivate Use Only (124) www.jainelibrary.org
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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