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________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 श्री आदिनाथ भगवान का मंदिर, आसावरा यह शिखरबंद मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 48, मंगलवाड़ चौराहा से 18 किलोमीटर दूर सड़क के किनारे स्थित है।श्री जितेन्द्र विजय जी की प्रेरणा से यह मंदिर व दो दुकानें श्री रतनलाल जी नवलखा द्वारा निर्मित कर संवत् 2047 वैशाख शुक्ला 6 को प्रतिष्ठासम्पन्न हुई।नजदीकरेल्वे स्टेशन उदयपुर व चित्तौड़गढ़ है, बस कासाधन है। इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएँ स्थापित हैं : 1. श्री आदिनाथ भगवान की (मूलनायक) श्याम पाषाण की 29" ऊँची प्रतिमा हैं इस पर संवत् 2042 मार्ग कृष्णा 12 का लेख है। श्री विमलनाथ भगवान की (मूलनायक के दाए) श्वेत । पाषाण की 23" ऊँची प्रतिमा हैं। इस पर संवत् 2045 वै.शु. 5 लुणावा का लेख है। 3. श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 23" ऊँची प्रतिमा हैं। इस पर संवत् 2045 वै.शु. 5 का लेख है। उत्थापित प्रतिमाएँवयंत्र धातु की : 1. श्री पार्श्वनाथ भगवान की 9" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2056 फागुण सुद 6 का लेख है। श्री सिद्धचक्र यंत्र 4' का गोलाकार है। इस पर संवत् 2046 ज्येष्ठ शुक्ला 13 का लेख है। Jain Education International For PSAREnvate Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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