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आत्मा होवानु प्रमाण छे.
बीजं पदः- 'आत्मा नित्य छे.' घटपट आदि पदार्थों अमुक काळ वर्ती छे घटपटादि संयोगे करी पदार्थ छे. आत्मा स्वभावे करीने पदार्थ छे; केम के तेनी उत्पत्ति माटे कोई पण संयोगो अनुभव योग्य थता नथी. कोई पण संयोगी द्रव्य थी चेतन सत्ता प्रगट थवा योग्य नथी, माटे अनुत्पन्न छे. असंयोगी होवाथी अविनाशी छे, केम के जेनी कोई संयोगथी उत्पति न होय, तेनो कोई ने विषे लय पण होय नहीं.
त्रीजु पद:- 'आत्मा कर्ता छ.' सर्व पदार्थ अर्थक्रिया सम्पन्न छे. कंई न कंई परिणाम क्रिया सहित ज सर्व पदार्थ जोवामां आवे छे. आत्मा पण क्रिया सम्पन्न छे. क्रिया सम्पन्न छे, माटे कर्ता छे. ते कर्ता पणु त्रिविध श्री जिने विवेच्युछे. परमार्थथी स्वभाव परिणतिए निजस्वरूपनो कर्त्ता छ. अनुपचरित (अनुभवमां आववा योग्य, विशेष संबंध सहित) व्यवहारथी ते आत्मा द्रव्य कर्मनो कर्ता छे. उपचार थी घर, नगर आदिनो कर्ता छे. .
. चोथं पद:- 'आत्मा भोक्ता छे.' जे जे कई क्रिया छे ते ते सर्व सफल छ, निरर्थक नथी. जे कई पण
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