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मंगल - आरति ॐ परम कृपालु देव ! जय परम कृपालु देव !!
हे परम कृपालु देव !!!....... जन्म-जरा-मरणादिक ..... सर्व दुःखोनो
अत्यंत क्षय करनार, जे अत्यंत० (२) अवो वीतराग पुरुषोनो, तीर्थंकर मुनिजननो,
रत्नत्रयी पथ सार.... ॐ ... १. मूळ मार्ग ते आप्यो .... मुज रंक बाळने,
अनंत कृपा करी आप, प्रभु अनंत० (२) नाथ चरण बलिहारी ! हरी भव-भ्रान्ति म्हारी,
अहो उपकार अमाप !!! ..... ॐ ...... २. प्रत्युपकार ते वाळवा-ने हुं छु,
सर्वथा ज असमर्थ, छु सर्वथा० (२) निस्पृह छो कंई लेवा, आप श्रीमद् महादेवा,
. परितृप्त निज अर्थ...... ॐ ...... ३. जेथी मन-वच-तन ..... अकाग्र थई नमुं
आप चरण अरविंद, नमुं आप० (२) आत्मा अपुं तुजने, परम भक्ति हो मुजने,
याचुं न जड-पद-इंद.......ॐ....... ४.
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