________________
प्रभु श्री सहजानंदघनजी कृत
स्तवन संग्रह
..
१. पद : राग - धन्याश्री
चेतावनी :पंथीडा! प्रभु भजी ले दिन चार .....प्रभु .... (२) तन भजतां तन जेल ठेलायो, अशरण आ संसार ...पं... तन धन कुटुंब सजी तजी भटके, चउगति वारंवार . पं.. क्यां थीं आव्यो? क्यां जावु छे? रहेवू केटली वार..पं.. कर्तव्य शुछे? करी रहयो शु हजी न चेते गमार..पं.. आत्मार्पण थई प्रभु पद भजतां, वे घडीओ भव पार...पं.. माटे था तैयार भजनमां, सहजानंद पथ सार.......पं.... दि. २८-३-१९५४
२. पद : राग - मालकोष
सहज समाधि :भयो मेरो... मनुआँ बेपरवाह ..... ....... अहँ-ममताकी बेड़ी फैडी, सज धज आत्म-उत्साह..भयो.
80
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org