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समवसरण देवे रच्यु जी, चोसठ इन्द्र नरेश; सोना तणा सिंहासन बेठा, चामर छत्र ढळे श;
सीमंधर स्वामी! कहींये रे हुं महाविदेह आवीश?
सहजानंद प्रभुजी! कहींये रे हुंआपने वंदीश? इन्द्राणि काढे गहुंली जी, मोतीना चोक पूरेश, लळी लळी लिये लुंछणा जी, जिनवर दिये उपदेश?
सीमंधर स्वामी! कहींये रे हुं महाविदेह आवीश? सहजानंद प्रभुजी! कहींये रे हुं आपने वंदीशं? एणे समे में सांभलयुजी, हवे कस्वा पच्चख्खाण; पोथी, ठवणी तिहां कने जी, अमृत वाणी वरवाण ।
सीमंधर स्वामी! कहींये रे हुं महाविदहे आवीश?
सहजानंद प्रभुजी कहींये रे हुं आपने वंदीश? रामने वहालां घोडलां जी, वेपारीने वहालां छे दाम; अमने वहाला सीमंधर स्वामी, जेम सीताने श्रीराम
सीमंधर स्वामी! कहींये रे हुं महाविदेह आवीश?
सहजानंद प्रभुजी! कहींये रे हुं आपने वंदीश? नहीं मागु प्रभु राज रिद्धिजी, नहीं मागु गरथ भंडार; हुं मागु प्रभु एटलुजी, तुम पासे अवतार;
सीमंधर स्वामी! कहींये रे हुं महाविदेह आवीश? सहजानंद प्रभुजी! कहींये रे हुं आपने वंदीश?
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