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________________ (ग) (हस+इरे) = हसिरे = (वे दोनों/वे सब) हँसते हैं/हँसती हैं। (व.अ.पु.बहु.) (ठा+इरे) = ठाइरे = (वे दोनों/वे सब) ठहरते हैं/ठहरती हैं। (व.अ.पु.बहु.) (हो+इरे) = होइरे = (वे दोनों/वे सब) होते हैं/होती हैं। (व.अ.पु.बहु.) 7. भूतकाल उत्तम पुरुष 1/1, मध्यम पुरुष 2/1, अन्य पुरुष 3/1 (एकवचन) उत्तम पुरुष 1/2, मध्यम पुरुष 2/2, अन्य पुरुष 3/2 (बहुवचन) अपभ्रंश भाषा में अकारान्त क्रियाओं में प्राकृत भाषा के अनुसार भूतकाल के उत्तम पुरुष एकवचन व बहुवचन, मध्यम पुरुष एकवचन व बहुवचन, अन्य पुरुष एकवचन व बहुवचन में 'ईअ' प्रत्यय क्रियाओं में लगता है। जैसे - उत्तम पुरुष एकवचन 1/1 (हस+ईअ) = हसीअ = (मैं) हँसा/हँसी। (भू.उ.पु.एक.) उत्तम पुरुष बहुवचन 1/2 (हस+ईअ) = हसीअ = (हम दोनों/हम सब) हँसे/हँस। (भू.उ.पु.बहु.) - मध्यम पुरुष एकवचन 2/1 (हस+ईअ) = हसीअ = (तुम) हँसे/हँसी। (भू.म.पु.एक.) मध्यम पुरुष बहुवचन 2/2 (हस+ईअ) = हसीअ = (तुम दोनों/तुम सब) हँसे/हँस। (भू.म.पु.बहु.) अन्य पुरुष एकवचन 3/1 (हस+ईअ) = हसीअ = (वह) हँसा/हँसी। (भू.अ.पु.एक.) अन्य पुरुष बहुवचन 3/2 (हस+ईअ) = हसीअ = (वे दोनों/वे सब) हँसे/हँसी। (भू.अ.पु.बहु.) ----------- अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण (43) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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