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________________ (घ) धेणु (स्त्री.) ( धेणु +0 ) = धेणु (द्वितीया एकवचन) बहू (स्त्री.) (बहू +0) = बहू (द्वितीया एकवचन ) द्वितीया बहुवचन 2/2 कहा (स्त्री.) ( कहा +0 ) = कहा (द्वितीया बहुवचन) मइ (स्त्री.) ( मइ + 0 ) = मइ (द्वितीया बहुवचन) लच्छी (स्त्री.) ( लच्छी +0) = धेणु (स्त्री.) (धेणु +0 ) = धेणु (द्वितीया बहुवचन) बहू (स्त्री.) ( बहू +0) = बहू ( द्वितीया बहुवचन) लच्छी ( द्वितीया बहुवचन) अकारान्त, इ-ईकारान्त, उ- ऊकारान्त (पु.) (कं) षष्ठी एकवचन 6 / 1 ( ख ) षष्ठी बहुवचन 6/2 14. (i) अपभ्रंश भाषा में अकारान्त, इ-ईकारान्त और उ-ऊकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के षष्ठी विभक्ति एकवचन व षष्ठी विभक्ति बहुवचन 'शून्य' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे में - षष्ठी एकवचन 6/1 (क) देव (पु.) (देव+0) = देव (षष्ठी एकवचन) हरि (पु.) (हरि + 0 ) = हरि ( षष्ठी एकवचन ) गामणी (पु.) ( गामणी + 0 ) = गामणी (षष्ठी एकवचन) साहु (पु.) ( साहु+0 ) = साहु (षष्ठी एकवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू+0 ) = सयंभू (षष्ठी एकवचन) षष्ठी बहुवचन 6/2 (ख) देव (पु.) (देव+0) = देव (षष्ठी बहुवचन) हरि (पु.) (हरि + 0 ) = हरि ( षष्ठी बहुवचन) अपभ्रंश - हिन्दी-व्याकरण Jain Education International For Personal & Private Use Only (11) www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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