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________________ अकारान्त, इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) (क) प्रथमा एकवचन 1/1 (ख) प्रथमा बहुवचन 1/2 (ग) द्वितीया एकवचन 2/1 (घ) द्वितीया बहु वचन 2/2 (ii) अपभ्रंश भाषा में अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति एकवचन व प्रथमा विभक्ति बहुवचन तथा द्वितीया विभक्ति एकवचन व द्वितीया विभक्ति बहुवचन में 'शून्य' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे प्रथमा एकवचन 1/1 (क) कमल (नपुं.)(कमल+0) = कमल (प्रथमा एकवचन) वारि (नपुं.)(वारि+0) = वारि (प्रथमा एकवचन) महु (नपुं.) (महु+0) = महु (प्रथमा एकवचन) . प्रथमा बहुवचन 1/2 (ख) कमल (नपुं.)(कमल+0) = कमल (प्रथमा बहुवचन) - वारि (नपुं.)(वारि+0) = वारि (प्रथमा बहुवचन) .... महु (नपुं.) (महु+0) = महु (प्रथमा बहुवचन) । . द्वितीया एकवचन 2/1 (ग) कमल (नपुं.) (कमल+0) = कमल (द्वितीया एकवचन) . वारि (मपुं.) (वारि+0) = वारि (द्वितीया एकवचन) महु (नपुं.) (महु+0) = महु (द्वितीया एकवचन) _ द्वितीया बहुवचन 2/2 (घ) कमल (नपुं.) (कमल+0) = कमल (द्वितीया बहुवचन) ___वारि (नपुं.)(वारि+0) = वारि (द्वितीया बहुवचन) महु (नपुं.) (महु+0) = महु (द्वितीया बहुवचन) अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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