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स्त्रीलिंग - जा (जो)
एकवचन
प्रथमा
(जो, जिसने)
द्वितीया
धं, जु (जिसे, जिसको)
तृतीया
बहवचन जा, 'ज, जाउ, 'जउ, जाओ, 'जओ (जो, जिन्होंने) जा, 'ज, जाउ, “जउ, जाओ, 'जओ (जिन्हें, जिनको) जाहिं, "जहिं (जिनसे, जिनके द्वारा) जा, 'ज, जाहु, 'जहु (जिनके लिए) (जिनका, जिनकी, जिनके) जाहु, 'जहु (जिन से) जाहिं, 'जहिं (जिनमें, जिन पर)
जाए, 'जए (जिससे, जिसके द्वारा) जा, 'ज, जाहे, जहे (जिसके लिए) (जिसका, जिसकी,जिसके) जाहे, 'जहे (जिस से) जाहिं, 'जहिं (जिसमें, जिस पर)
व षष्ठी
पंचमी
सप्तमी
प्रथमा
द्वितीया
पुल्लिंग- क (कौन) एकवचन क, का, कु, को (कौन, किसने) क, 'का, कु (किसे, किसको) कें, केण, केणं (किससे, किसके द्वारा) क, का, कासु, कहो, "काहो, कस्सु (किसके लिए) (किसका, किसकी,किसके) कहां, 'काहां, किहे (किस से) कहिं, काहि (किसमें, किस पर)
बहुवचन क, "का (कौन, किन्होंने) क, का (किन्हें, किनको) कहिं, काहिं, केहिं (किनसे, किनके द्वारा) क, "का, कहं, 'काहं (किनके लिए) (किनका, किनकी, किनके)
तृतीया
चतुर्थी व षष्ठी
पंचमी
कहुं, 'काहं (किन से) कहिं, 'काहिं (किनमें, किन पर)
सप्तमी
(98)
अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण
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