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________________ साहीणलच्छि (स्वाधीन लक्ष्मी को) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) सुण्णनिहि (शून्यनिधि) . नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) । रच्छामुहे (मोहल्ले के मुख पर)। नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) भयकंपिरु (भय से कंपनशील) नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास) निसागमि (रात्रि आने पर) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) कामुयजणु (कामुक मनुष्य) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) पियमणु (प्रिया के मन को) नियम 2- छठ्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) जीवियास (जीने की आशा) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) सायरजलु (सागर के जल को) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) हरि-करि (घोड़े व हाथी) नियम 1- दंद समास (द्वन्द्व समास) संसारसमुद्दि (संसार समुद्र में) नियम 2- सत्तमी विभत्ति तप्पुरिस समास (सप्तमी तत्पुरुष समास) पाठ 10-सुदंसणचरिउ च्छोहजुत्तु (रोष से युक्त हुआ) नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास) रत्ताघरिसण (खून का घर्षण) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) अपभ्रंश-व्याकरण एवं छंद-अलंकार अभ्यास उत्तर पुस्तक 22 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004212
Book TitleApbhramsa Vyakaran evam Chand Alankar Abhyas Uttar Pustak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages72
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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