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वियप्पेवि = वियप्प + एवि ( विचार करके)
चिन्तावण्णु = चिन्ता+3
नियम 4- लोप - विधान सन्धिः (ख) ए, ओ से पहले अ, आ का लोप हो जाता है।
अणुवाहणु = अण+उवाहणु (बिना जूतों के)
+ आवण्णु ( चिन्ता में डूबे हुए)
नियम 1 - समान स्वर सन्धिः (क) आ + आ = आ।
णिसुणेवि = णिसुण + एवि (सुनकर )
नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है।
वड्ढि
पाठ 2- पउमचरिउ
उव्वेल्लिज्जइ = उव्वेल्ल + इज्जइ ( उछाला जाता है )
2
नियम 4लोप - विधान सन्धिः (ख) ए, ओ से पहले अ, आ का लोप हो जाता है।
नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। -
णवेप्पणु = णव + एप्पिणु (प्रणाम करके ) नियम 4लोप - विधान सन्धिः (ख) ए, ओ से पहले अ, आ का लोप हो जाता है।
बहु- दुक्खाउरु = बहुदुक्ख + आउरु ( बहुत दुःखों से पीड़ित ) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ + आ = आ। विसयासत्तु = विसय + आसत्तु (विषय में आसक्त)
नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ + आ = आ। सव्वाहरणहो = सव्व+आहरणहो (सभी अलंकार के)
नियम 1 - समान स्वर सन्धिः (क) अ + आ = आ। अत्तावणु = अत्त+तावणु ( शरीर का तपन )
नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ + आ = आ। = ड्ड + इउ (बढ़कर )
नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है।
अपभ्रंश-व्याकरण एवं छंद - अलंकार अभ्यास उत्तर पुस्तक
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