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अर्थ- फिर जन्म से छठे दिन उस वैश्य ने उत्कृष्ट रूप से झटपट छठी का उत्सव मनाया। 4. निध्यायिका छन्द लक्षण- इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी)। प्रत्येक चरण में उन्नीस मात्राएँ होती हैं। उदाहरण।।।।।। ।।।। ऽ । ऽ।ऽ फुरियाणणउ विहुणिय - वाहुदण्डओ। ऽ ।।।।। ।।।। । ऽ।ऽ णं गयवरउ णिठभर - गिल्ल - गण्डओ ।। ऽ ।।।।। ।।ऽऽ । ऽ । ऽ तं दहवयणु जयकारेवि अक्खओ। ऽ ऽ।।। ।।।। ।।। ऽ । ऽ णं णीसरिउ गरुडहाँ समुहु तक्खओ ।।
. पउमचरिउ 52.1.1 अर्थ - उसका चेहरा तम-तमा रहा था, अपने दोनों हाथ मलते हुए वह ऐसा लगता था मानो मद झरता हुआ महागज हो। रावण की जय बोलकर अक्षयकुमार निकल पड़ा, मानों गरुड़ के सम्मुख तक्षक ही निकला हो। 5. चउपही छन्द (चतुष्दी) लक्षण- इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी)। प्रत्येक चरण में बीस मात्राएँ होती हैं और चरण के अन्त में दो मात्राएँ लघु (1) होती हैं। उदाहरणऽ । । ।।। ।।। ।।। ।। दोहिँ वि घरहिँ धवलु मंगलु गाइज्जइ। (42)
अपभ्रंश अभ्यास सौरभ (छंद एवं अलंकार)
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