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अभ्यास
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(क) निम्नलिखित पद्यों के मात्राएँ लगाकर इनमें प्रयुक्त छन्दों के
लक्षण व नाम बताइए - 1.. विधंति जोह जलहरसरिसा, वावल्लभल्ल-कण्णिय-वरिसा। फारक्क परोप्पर ओवडिया, कोंताउह कोतकरहिँ भिडिया। .
जंबूसामिचरिउ 6.6.7-8 अर्थ - योद्धा लोग जलधरों के समान बल्लभ, भालों व बाणों की वर्षा
करते हुए (परस्पर को) बींध रहे थे। फारक्क (शस्त्र को) धारण करने वाले एक-दूसरे पर टूट पड़े और कुन्तवाले कुन्त धारण .
करनेवाले प्रतिपक्षियों से भिड़ पड़े। 2. सरलंगुलिउब्भिवि जंपिएहिँ, पयडेइ व रिद्धि कुटुंबिएहिँ। देउलहिँ विहूसिय सहहिँ गाम, सग्ग व अवइण्ण विचित्तधाम।
जंबूसामिचरिउ 1.8.7-8 अर्थ - सरल अंगुलियों को उठा-उठाकर बोलने वाले अपने कुटुम्बी
अर्थात् किसान गृहस्थों के द्वारा जो अपनी ऋद्धि-समृद्धि को प्रकट करता है। देवकुलों से विभूषित वहाँ के ग्राम ऐसे शोभायमान
हैं मानो विचित्र भवनोंवाले स्वर्ग अवतीर्ण हो गए हों। 3. इय संसारे जं पियं, निसुणे वि जणणी जंपियं । चउगइदुक्खनियामिणा, भणियं जंबूसामिणा ।
जंबूसामिचरिउ 8.8.1-2 अर्थ- इस संसार में जो प्रिय है, जननी के वैसे कथन को सुनकर चारों
गतियों के दु:ख का नियमन करने वाले जम्बूस्वामी ने कहा........। णहमणिकिरणअरुणकयणहयलु, भुयबल-तुलिय-सवल-दिसगयउलु।
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अपभ्रंश अभ्यास सौरभ (छंद एवं अलंकार)
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