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1.
भाववाच्य एवं कर्मवाच्य के प्रत्यय प्राकृत भाषा में भाववाच्य तथा कर्मवाच्य का प्रयोग किया जाता है। अकर्मक क्रियाओं से भाववाच्य तथा सकर्मक क्रियाओं से कर्मवाच्य बनाया जाता है।
क्रिया का भाववाच्य में प्रयोग-नियम प्राकृत भाषा में अकर्मक क्रियाओं से भाववाच्य बनाने के लिए 'इज्ज'
और 'ईअ'/'ईय' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। कर्ता में तृतीया विभक्ति (एकवचन अथवा बहुवचन) होगी। क्रिया में उपर्युक्त प्रत्यय जोड़ने के पश्चात ‘अन्य पुरुष एकवचन' के प्रत्यय भी काल के अनुसार लगा दिये जाते हैं। 'इज्ज' और 'ई'/'ईय' प्रत्यय वर्तमानकाल, भूतकाल तथा विधि
एवं आज्ञा में लगाये जाते हैं। जैसे(क) (i) (हस+इज्ज+इ) = हसिज्जइ = हँसा जाता है। (व.अ.पु.एक.)
(हस+इज्ज+ए) = हसिज्जए = हँसा जाता है। (व.अ.पु.एक.) (हस+इज्ज+दि) = हसिज्जदि = हँसा जाता है। (व.अ.पु.एक.)
(हस+इज्ज+दे) = हसिज्जदे = हँसा जाता है। (व.अ.पु.एक.) (ii) (हस+ईअ+इ) = हसीअइ = हँसा जाता है। (व.अ.पु.एक.)
(हस+ईअ+ए) = हसीअए = हँसा जाता है। (व.अ.पु.एक.) (हस+ईअ+दि) = हसीअदि = हँसा जाता है। (व.अ.पु.एक.)
(हस+ईअ+दे) = हसीअदे = हँसा जाता है। (व.अ.पु.एक.) (ख) (हस+इज्ज+ईअ) = हसिज्जईअ (हसिज्जीअ) = हँसा गया।
(भू.अ.पु.एक.) (हस+ईअ+ईअ) = हसीअईअ (हसीईअ) = हँसा गया।
(भू.अ.पु.एक.) (ग) (i) (हस+इज्ज+उ) = हसिज्जउ = हँसा जाए। (विधि.अ.पु.एक.)
" (हस+इज्ज+दु) = हसिज्जदु = हँसा जाए। (विधि.अ.पु.एक.)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
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