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4. (हस+तुआणं) = हसितुआणं, हसेतुआणं (हँसकर) 5. (हस+याण) = हसियाण, हसेयाण (हँसकर) 6. (हस+याणं) = हसियाणं, हसेयाणं (हँसकर) 7. (हस+आए) = हसाए (हँसकर) 8. (हस+आय) = हसाय (हँसकर)
___ हेत्वर्थक कृदन्त 3.(क) प्राकृत भाषा में 'के लिए' अर्थ में हेत्वर्थक कृदन्त का प्रयोग किया जाता
है। हेत्वर्थक कृदन्त में 'उ' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़ा जाता है और क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ई' और 'ए' हो जाता है। जैसे
(हस+उ) = हसिउं, हसेउं (हँसने के लिए) (ख) शौरसेनी भाषा के अनुसार हेत्वर्थक कृदन्त में 'दं' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़ा
जाता है और क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ई' और 'ए' हो जाता है।
(हस+दु) = हसिद्, हसेतुं (हँसने के लिए) (ग) अर्धमागधी भाषा के अनुसार हेत्वर्थक कृदन्त में ‘त्तए' प्रत्यय भी क्रियाओं
में जोड़ा जाता है और क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ई' और 'ए' हो जाता है। जैसे(हस+त्तए) = हसित्तए, हसेत्तए (हँसने के लिए)
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भूतकालिक कृदन्त 4.(क) प्राकृत भाषा में भूतकाल का भाव प्रकट करने के लिए भूतकालिक कृदन्त ।
का प्रयोग किया जाता है। भूतकालिक कृदन्त में 'अ' / 'य' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़े जाते हैं और क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ई' हो जाता है। जैसे(हस+अ) = हसिअ (हँसा)
(हस+य) = हसिय (हँसा) प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
(43) .
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