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हैं इसी तरह उत्तम पुरुष बहुवचन, मध्यम पुरुष एकवचन व बहुवचन तथा अन्य पुरुष एकवचन व बहुवचन के रूप बना लेने चाहिए। जैसे
आकारान्त क्रिया (ठा) (क) (ठा+ज्ज, ज्जा+मि) =ठाज्जमि-ठज्जमि, ठाज्जामि-ठज्जामि =
____(मैं) ठहरता हूँ/ठहरती हूँ (व.उ.पु.एक.) अन्य रूप - ठामि (ख) (ठा+ज्ज, ज्जा+हि, स्सा, स्सि, हा+मि) = ठाजहिमि→ठज्जहिमि,
ठाज्जाहिमिठज्जाहिमि, ठाज्जस्सामि-ठज्जस्सामि, ठाज्जास्सामिठज्जास्सामि,ठाज्जस्सिमि→ठज्जस्सिमि, ठाज्जास्सिमि-ठज्जास्सिमि, ठाज्जहामि-ठज्जहामि, ठाज्जाहामि-ठज्जाहामि = (मैं) ठहरूँगा/
___ ठहरूँगी। (भवि.उ.पु.एक.) अन्य रूप - ठाहिमि, ठस्सामि, ठस्सिमि, ठाहामि, ठस्सं (ग) (ठा+ज्ज, ज्जा+मु) = ठाज्जमुठज्जमु, ठाज्जामु-ठज्जामु
(मैं) ठहरूँ। (विधि.उ.पु.एक.) अन्य रूप - ठामु (प्राकृत के नियमानुसार संयुक्ताक्षर के पहिले यदि दीर्घ स्वर हो तो वह ह्रस्व हो जाता है)।
ओकारान्त क्रिया (हो) (क) (हो+ज्ज, ज्जा+मि) होज्जमि, होज्जामि=(मैं) होता हूँ/होती हूँ। (व.उ.पु.एक.)
अन्य रूप - होमि (ख) (हो+ज्ज, ज्जा+हि, स्सा, स्सि, हा+मि) = होज्जहिमि, होज्जाहिमि,
होज्जस्सामि, होज्जास्सामि, होज्जस्सिमि, होज्जास्सिमि, होज्जहामि, होज्जाहामि = (मैं) होऊँगा/होऊँगी। (भवि.उ.पु.एक.)
अन्य रूप - होहिमि, होस्सामि, होस्सिमि, होहामि, होस्सं (ग) (हो+ज्ज, ज्जा+मु) = होज्जमु, होज्जामु = (मैं) होऊँ। (विधि.उ.पु.एक.)
अन्य रूप - होमु प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
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