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(ठा+एज्जा, एज्जासि, एज्जाहि) = ठाएज्जा, ठाएज्जासि, ठाएज्जाहि
= (तुम) ठहरो। (विधि.म.पु.एक) (हो+एज्जा, एज्जासि, एज्जाहि) = होज्जा, होज्जासि, होज्जाहि =
(तुम) होवो। (विधि.म.पु.एक) कभी-कभी अकारान्त क्रियाओं के मध्यम पुरुष एकवचन में 'ए' प्रत्यय भी जोड़ दिया जाता है। जैसे- हस+ए = हसे (प्राकृत के नियमानुसार ओकारान्त तथा एकारान्त आदि क्रियाओं में एज्जा का 'ए' हटा दिया जाता है)।
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मध्यम पुरुष बहुवचन 2/2 31.(क) प्राकृत भाषा में अकारान्त, आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं के
विधि एवं आज्ञा के मध्यम पुरुष बहुवचन में 'ह' प्रत्यय क्रियाओं में लगता है। 'ह' प्रत्यय लगने पर अकारान्त क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' भी हो जाता है। जैसे(हस+ह) = हसह, हसेह = (तुम दोनों/तुम सब) हँसो। (विधि.म.पु.बहु) (ठा+ह) = ठाह = (तुम दोनों/तुम सब) ठहरो। (विधि.म.पु.बहु) (हो+ह) = होह = (तुम दोनों/तुम सब) होवो। (विधि.म.पु.बहु)
(ख) शौरसेनी प्राकृत में अकारान्त, आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं के
विधि एवं आज्ञा के मध्यम पुरुष बहुवचन में 'ध' प्रत्यय क्रियाओं में लगता है। 'ध' प्रत्यय लगने पर अकारान्त क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' भी हो जाता है। जैसे(हस+ध) = हसध, हसेध = (तुम दोनों/तुम सब) हँसो। (विधि.म.पु.बहु) (ठा+ध) = ठाध = (तुम दोनों/तुम सब) ठहरो। (विधि.म.पु.बहु)
(हो+ध) = होध = (तुम दोनों/तुम सब) होवो। (विधि.म.पु.बहु) प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
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