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________________ अभिमत अपभ्रंश - हिन्दी- व्याकरण प्रस्तुत पुस्तक 'अपभ्रंश हिन्दी व्याकरण' आचार्य हेमचन्द्र के सूत्रों को समझने में जितनी उपयोगी है, उतनी ही अपभ्रंश भाषा के साहित्य के उन पाठकों एवं सम्पादकों के लिए भी जो सीधे हिन्दी के माध्यम से अपभ्रंश सीखना चाहते हैं। इस पुस्तक में अपभ्रंश भाषा के प्रायः सभी प्रयोगों की व्याख्या सरल भाषा में आ गयी है । हिन्दी पाठकों पर श्रीमती शकुन्तला जैन का यह उपकार है कि उन्होंने हिन्दी भाषा की आधारशिला और आधुनिक भाषाओं की जननी अपभ्रंश भाषा को सीखने-समझने का एक सुगम मार्ग खोल दिया है। इस पुस्तक से उन सम्पादकों / अनुवादकों को भी मदद मिलेगी जो अपभ्रंश की पाण्डुलिपियों को प्रकाश में लाना चाहते हैं । श्रीमती शकुन्तला जैन इसके लिए बधाई । मुझे प्रसन्नता है कि प्रोफेसर कमलचन्द सोगाणी ने हिन्दी के माध्यम से प्राकृत - अपभ्रंश पढ़ने-पढ़ाने का जो अभियान चलाया है, उसको इस प्रकार की पुस्तक से गति मिलेगी। प्राच्यविद्या एवं भाषाओं के क्षेत्र में श्रीमती जैन की इस पुस्तक का स्वागत होना चाहिए । प्रकाशन भी बहुत सुन्दर हुआ है। प्राकृत - हिन्दी- व्याकरण ( भाग - 2 ) Jain Education International डॉ. प्रेमसुमन जैन पूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर For Personal & Private Use Only (125) www.jainelibrary.org
SR No.004205
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2013
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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