________________
समझाई गई है। प्रतीत होता है कि पुस्तक अपभ्रंश के प्रारंभिक छात्रों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।
हिन्दी जगत को आपने ऐसी कृति से समृद्ध किया है, इसके लिए हिन्दी भाषी जनसमुदाय, हिन्दी - अध्यापक और विद्यार्थी आपके चिरकृतज्ञ रहेंगे।
प्राकृत - हिन्दी-व्याकरण ( भाग - 2 )
Jain Education International
डॉ. आनन्द मंगल वाजपेयी वरिष्ट फेलो (इंडोलोजी) संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार
For Personal & Private Use Only
(124)
www.jainelibrary.org