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अनियमित भूतकालिक कृदन्त'
प्राकृत में भूतकाल का भाव प्रकट करने के लिए भूतकाल के प्रत्यय और भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। भूतकालिक कृदन्त के लिए क्रिया में अ/य, त, द प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसे
हस+अ/य, त, द = हसिअ/हसिय, हसित, हसिद ठा+अ/य, त, द = ठाअ/ठाय, ठात, ठाद झा+अ/य, त, द = झाअ/झाय, झात, झाद
इस प्रकार अ,त,द प्रत्यय के योग से बने भूतकालिक कृदन्त 'नियमित भूतकालिक कृदन्त' कहलाते हैं। इनमें मूल क्रिया को प्रत्यय से अलग करके स्पष्टतः समझा जा सकता है। इन कृदन्तों के रूप पुल्लिंग में 'देव' के समान नपुंसकलिंग में 'कमल' के समान तथा स्त्रीलिंग में 'कहा' के समान चलेंगे।
किन्तु जब अ,त,द प्रत्यय जोड़े बिना भूतकालिक कदन्त प्राप्त हो जाए या तैयार मिले तो वे अनियमित भूतकालिक कृदन्त कहलाते हैं। इनमें मूल क्रिया को प्रत्यय से अलग करके स्पष्टतः नहीं समझा जा सकता है। जैसे
वुत्त = कहा गया; दिट्ठ = देखा गया,
दिण्ण = दिया गया आदि। - ये सभी अनियमित भूतकालिक कृदन्त है इनमें से क्रिया को अलग नहीं किया जा सकता है। इनके रूप भी पुल्लिंग में 'देव' के समान नपुंसकलिंग में 'कमल' के समान तथा स्त्रीलिंग में 'कहा' के समान चलेंगे।
__ सकर्मक क्रियाओं से बने हुए भूतकालिक कृदन्त (नियमित या अनियमित) कर्मवाच्य में ही प्रयुक्त होते हैं। केवल गत्यार्थक क्रियाओं से बने हुए भूतकालिक कृदन्त (नियमित या अंनियमित) कर्मवाच्य और कर्तृवाच्य दोनों में प्रयुक्त होते हैं।
. अकर्मक क्रियाओं से बने हुए भूतकालिक कृदन्त (नियमित या अनियमित) कर्तृवाच्य और भाववाच्य में प्रयुक्त होते हैं। अनियमित भूतकालिक कृदन्तों का ज्ञान साहित्य में उपलब्ध उदाहरणों के आधार से किया जाना चाहिए।
अन्य अनियमित कृदन्तों को इसी प्रकार समझ लेना चाहिए। 1. देखें 'प्राकृत अभ्यास सौरभ' अभ्यास-39 प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
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