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प्रश्नव्याकरण सूत्र श्रु० १ अ०२ ***************************************** * *******
___मृषावादी-नास्तिकवादी का मत । अवरे णत्थिगवाइणो वामलोयवाई भणंति-णत्थिजीवो, ण जाइ इह परे वा लोए, ण य किंचिवि फुसइ पुण्णपावं, णत्थि फलं सुकयदुक्कयाणं, पंचमहाभूइयं सरीरं भासंति, हे वायजोगजुत्तं। पंच य खंधे भणंति केइ, मणं य मणजीविया भणंति, वाउजीवोत्ति एवमाहंसु सरीरं साइयं सणिधणं, इह भवे एगभवे तस्स विप्पणासम्मि सव्वणासोत्ति, एवं जंपति मुसावाई। तम्हा दाण-वय-पोसहाणं तवसंजम-बंभचेर-कल्लाणमाइयाणं णत्थिफलं, ण वि य पाणवहे अलियवयणं णा चेव चोरिक्ककरणं परदारसेवणं वा सपरिग्गह-पावकम्मकरणं वि णत्थि किंचि ण .. णेरइय-तिरिय-मणुयाणजोणी, ण देवलोगो वा अत्थि ण य अस्थि सिद्धिगमणं, अम्मापियरों णत्थि ण वि अस्थि पुरिसकारो, पच्चक्खाणमवि णत्थि, ण वि अस्थि कालमच्चू य, अरिहंता चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा णत्थि, णेवत्थि केइ रिसओ . धम्माधम्मफलं च णवि अस्थि किंचि बहुयं च थोवगं वा, तम्हा एवं विजाणिऊण जहा सुबहु इंदियाणुकूलेसु सव्वविसएसु वट्टह णत्थि काइ किरिया वा अकिरिया वा एवं भवंति णत्थिगवाइणो वामलोयवाई। - शब्दार्थ - अवरे - दूसरे, णथिगवाइणो - नास्तिकवादी, वामलोयवाई - वामलोकवादीवाममार्गी-भौतिकवादी, भणंति - कहते हैं कि, णत्थि - नहीं, जीवी - जीव, ण जाइ - नहीं जाता, इह परे - इस-लोक पर-लोक, ण य - नहीं, किंचिवि - कुछ भी, फुसइ - स्पर्श करता है, पुण्णपावं - पुण्य और पाप, फलं - फल, सुकयदुक्कयाणं - सुकृत दुष्कृत का, पंचमहाभूइयं - पांच महाभूत का, सरीरं - शरीर है, भासंति - कहते हैं, वायजोगजुत्तं - वायु के योग से शरीर युक्त है, पंच - पांच, खंधेस्कन्ध, केइ - कोई, मण - मन ही, मणजीविया - मन को ही जीव मानने वाले, वाउजीवोत्ति - वायु जीव है, एवमाहंसु - इस प्रकार कहते हैं, सरीरं - शरीर, साइयं - सादि-आदियुक्त-नया उत्पन्न होने वाला, सणिधणं - निधन-विनाश होने वाला, इहभवे - इस भव, एगभवे - एक ही भव, तस्स - उसके, विप्पणासम्मि - विनाश होने पर, सव्वणासोत्ति - सर्वनाश हो जाता है, जंपति - कहते हैं, मुसावाई - मृषावादी, तम्हा - इसलिए, दाणवय-पोसहाणं - दान, व्रत और पौषध, तव-संजमबंभचेर-कल्लाणमाइयाणं - तप, संयम, ब्रह्मचर्यादि कल्याणकारी अनुष्ठानों का, णत्थिफलं - फल नहीं होता, पाणवहे - प्राणवध, अलियवयणं - मृषावाद, चोरिक्ककरणं - चोरी करना, परदारसेवणं - पर-स्त्री गमन, सपरिग्गह - परिग्रह रखना, पावकम्मकरणं - पापकर्म करने का, णेरइय - नैरयिक, तिरिय - तिर्यंच, मणुयाणजोणी - मनुष्यों की योनि, देवलोगो - देवलोक, अत्थि - अस्तित्त्व, णत्थि
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