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२७. विवक्खो - विपक्ष = सत्य का विरोधी - शत्रु ।
२८. अवहीय- अपधीक = निन्दित बुद्धि वाला । इस शब्द का दूसरा रूप 'उवहियं' - औपधिक है, जिसका अर्थ- माया का घर । इसका अन्य रूप ' आणाइयं' - आज्ञातिक-जिनाज्ञा का उल्लंघन है। २९. उवहिअसुद्धं - उपधिअशुद्ध = = माया के कारण अशुद्ध अथवा सावद्य होने से अपवित्र । ३०. अवलोवो अपलोपक= वस्तु के सद्भाव का लोपक ।
उसके, एयाणि एवमाईणि - ये उपरोक्त और इसी तीस, सावज्जस्स सावद्य पाप के, अलियस्स
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प्रश्नव्याकरण सूत्र श्रु० १ अ० २
अविय - इस मृषावाद के और भी, तस्स प्रकार के, णामधेज्जाणि नाम, होंति हैं, तीसं मृषा- झूठ के, वइजोगस्स - वचन-योग के, अणेगाई - अनेक ।
मृषावाद के उपरोक्त ३० नाम इसकी भिन्न-भिन्न विशेषताओं को प्रकट करते हैं । सूत्रकार कहते हैं कि मृषावाद के पाप को स्पष्ट करने के लिए इन तीस नामों के अतिरिक्त अन्य अनेक नाम हैं।
मृषावादी
तं च पुण वयंति केइ अलियं पावा असंजया अविरया कवडकुडिलकडुयचडुलभावा कुद्धा लुद्धा भया य हस्सट्टिया य सक्खी चोरा चार-भडा खंडरक्खा जियजयकरा य गहियगहणा कक्ककुरुगकारगा, कुलिंगी उवहिया वाणियगा य कूडतुलकूडमाणी कूडकाहावणोवजीविया पडगार - कलाय-कारुइज्जा वंचणपरा चारियचाडुयार-णगरगुत्तिय परिचारगा दुट्ठवाइसूयगअणबलभणिया य पुव्वकालियवयणदच्छा साहसिया लहुस्सगा असच्चा गारविया असच्चट्ठावणाहिचित्ता उच्चच्छंदा अणिग्गहा अणियत्ता छंदेणमुक्कवाया भवंति अलियाहिं जे अविरया । शब्दार्थ तं उस, पुण फिर, केइ कितनेक, अलियं मिथ्या वचन, पावा- पापी, असंजया - असाधु, अविरया अविरत, कवडकुडिलकडुयचडुलभावा- कपट के कारण कुटिल कटु एवं चंचल चित्त वाले, कुद्धा क्रोधी, लुद्धा - लुब्ध-लोभी- गृद्ध, भया - स्वयं भयभीत अथवा भय उत्पन्न करने वाले, हस्सट्ठिया - हँसी करने वाले, सक्खी झूठी साक्षी देने वाले, चोरा चोर, चारभडा - गुप्तचर, खंडरक्खा खण्ड- रक्षक - शुल्कपाल- राजस्व लेने वाले, जियजूयकरा - जुएं में हारे हुए जुआरी, गहियगहणा - बन्धक रखे हुए आभूषणों को दबाने वाले, कक्ककुरुगकारगा कल्कगुरुककारक- मायाचार से पूर्ण भरे हुए, कुलिंगी - कुतीर्थिक, अवहिया छल करने वाले, वाणियगा- व्यापारी, कूडतूलकूडमाणी खोटे नाप-तोल करने वाले, कूडकाहावणोवजीविया - कूटकार्षापण-नकली सिक्के के द्वारा आजीविका करने वाले, पडगार कलाय कारुइज्जा - कपड़ा बुनने
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*" अलियाहिं जे अविरया" - इतना पाठ पूज्य श्री घासीलालजी म. वाली प्रति में नहीं है, किन्तु टीका आदि में है।
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