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________________ हिंसक जन २१ *********************************************************** * ** साउणिया य वीदंसगपासहत्था वणचरगा लुद्धगा महघाया पोयघाया एणीयारा पएणीयारा-सर-दह-दीहिय-तलाग-पल्लल-परिगालण-मलण-सोत्तबंधण-सलिलासयसोसगा-विसगरस्स य दायगा उत्तणवल्लर-दवग्गि-णिद्दया-पलीवगा कूरकम्मकारी। शब्दार्थ - कयरे ते - कौन हैं वे हिंसक लोग?, ते - वे, जे सोयरिया - जो सूअरों का शिकार करते हैं, मच्छबंधा - मछलियों को पकड़ने वाले-मछलीमार, साउणिया - शाकुनिक-पक्षियों को जाल में फंसाकर मारने वाले-पारधी-बहेलिया, वाहा - व्याधामृग-घातक, कूरकम्मा - क्रूर कर्म करने वाले, वाउरिया - वागुरिका-मृगों को जाल में फंसाने की ताक में रहने वाले, दीविय-बंधणप्पओग-तप्पगलजाल-वीरल्लगायसी-दब्ध-वग्गुरा कुडछलियाहत्था - मृग को मारने के लिए चीता रखने वाले, मृग बांधने के लिए जाल रखने वाले, मछली मारने के लिए कांटा और जाल रखने वाले, अन्य पक्षियों को भारने के लिए वीरल्लक-बाज-पक्षी रखने वाले, लोह अथवा कुश का बना हुआ जाल रखने वाले, अन्य चीता-सिंह आदि को पकड़ने के लिए बकरा और पिंजरा रखने वाले, हरिएसा - हरिकेश-चांडाल, साउणिया - शिकारी, वीदंसगपासहत्था - बाज आदि घातक-पक्षी तथा फन्दा रखने वाले, वणचरगावन में घूमने वाले वनवासी भील आदि, लुद्धगा - लुब्धक-ध्याघ्र, महुघाया - मधुमक्खियों का.घात कर मधु लेने वाले, पोयघाया - पोतघातक-पक्षियों के बच्चों को मारने वाले, एणीयारा - मृग को लुभाकर पकड़ने के लिए हिरनी को लेकर घूमने वाले, पएणीयारा - बहुत सी हिरनियों को रखने वाले, सर-दहदीहिय-तलाग-पल्लल-परिगालण-मलण-सोत्तबंधण-सलिलासयसोसगा- सरोवर, द्रह (झील) नहर, पोरख, तालाब और तलाई का पानी निकाल कर उनमें रहे हुए मच्छादि जीवों का मर्दन करने वाले और जल-प्रवाह को रोक कर पानी सुखाने वाले, विसगरस्स य दायगा - आहार आदि में विष : मिला कर देने वाले, उत्तणवल्लर-दवग्गि-णिद्दया पलीवगा - तृणयुक्त वनों और वन में रहे हुए खेतों में निर्दयतापूर्वक आग लगाने वाले, कूरकम्मकारी- ये क्रूर कर्म करने वाले हिंसकजन हैं। ... भावार्थ - प्रश्न - वे हिंसक मनुष्य कौन हैं? .. उत्तर - जो सूअरों का शिकार करते हैं, मछलियों को मारते हैं, पक्षियों को जाल में फंसा कर मारने वाले-पारधी आदि, मृगघातक-व्याधा, मृर्गों को अपनी जाल में फंसाने की ताक में रहने वाले, मृग-समूह पर झपटकर दबोचने वाले चीता रखने वाले, जाल, मछली मारने का कांटा आदि तथा पक्षियों का शिकार करने वाले बाज आदि रखने वाले और हिंसक चीता, सिंह आदि को आकर्षित करने के लिए बकरा आदि रखने वाले, चांडाल, शिकारी, वन में घूमने वाले वनवासी, मधुमक्खियों के समूह के घातक, पोतघातक, मृगों को लुभाने के लिए हिरनी और अनेक हिरनियों को रखने वाले, जलाशय को सुखाकर या खाली करवा कर उसमें रहे हुए मच्छादि को मारने वाले, आहारादि में विष मिलाकर प्राणियों को मारने वाले और खेतों तथा जंगलों में आग लगाकर निर्दयतापूर्वक जीवों का संहार करने वाले क्रूर जीव, हिंसक लोग हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004201
Book TitlePrashna Vyakarana Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages354
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size8 MB
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