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क्रमांक
१२६. ब्रह्मचर्य व्रत की पाँच भावनाएँ १२७. प्रथम भावना- विविक्त शयनासन १२८. द्वितीय भावना - स्त्री - कथा वर्जन १२९. तृतीय भावना - स्त्रियों के
रूप दर्शन का त्याग
१३०. चतुर्थ भावना - पूर्व भोग
चिन्तन त्याग
१३१. पंचम भावना-स्निग्ध सरसं
भोजन त्याग
१३२. उपसंहार
परिग्रह त्याग नामक पंचम संवर द्वार १३३. हेय - ज्ञेय और उपादेय के
. तेतीस बोल
१३४. धर्म वृक्ष का स्वरूप.
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पृष्ठ क्रमांक
२७८ | १३५. अकल्पनीय - अनाचरणीय २७८ | १३६. कल्पनीय - आचरणीय २८० | १३७. साधु के उपकरण
१३८. निर्ग्रन्थों का अर्न्तदर्शन २८३ | १३९. निर्ग्रन्थों की ३१ उपमाएँ
२८४
२८६
२८७
२८९
२९८
१४०. अपरिग्रह व्रत की पाँच भावनाएँ १४१. प्रथम भावना - श्रोत्रेन्द्रिय-संयम १४२. द्वितीय भावना - चक्षुरिन्द्रिय संयम १४३. तीसरी भावना - घ्राणेन्द्रिय-संयम १४४. चतुर्थ भावना-रसनेन्द्रिय-संयम १४५. पंचम भावना-स्पर्शनेन्द्रिय-संयम
१४६. पंचम संवरद्वार का उपसंहार
१४७. सम्पूर्ण संवरद्वार का उपसंहार
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