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युद्धादि के उपदेश-आदेश ***************************************************************
युद्धादि के उपदेश-आदेश अप्पमहउक्कोसगा य हम्मंतु पोयसत्था सेण्णा णिज्जाउ जाउ डमरं घोरा वटुंतु य संगामा पवहंतु य सगडवाहणाई उवणयणं चोलगं विवाहो जण्णो अमुगम्मि य होउ दिवसेसु करणेसु मुहुत्तेसु णक्खत्तेसु तिहिसु य अज होउ ण्हवणं मुइयं बहुखज्जपिजकलियं कोउगं विण्हा-वणगं संतिकम्माणि कुणह सिसि-रवि-गहोवरागविसमेसु सज्जणपरियणस्स य णियगस्स य जीवियस्स परिरक्खणट्ठयाए पडिसीसगाई य देह दह य सीसोवहारे विविहोसहिमजमंस-भक्खण्ण-पाण-मल्लाणुलेवणपईवजलि-उजलसुगंधि-धूवावगार-पुप्फ-फल समिद्धे पायच्छित्ते करेह, पाणाइवायकरणेणं बहुविहेणं विवरीउप्पायदुस्सुमिण-पावसउण-असो-मग्गहचरियअमं गल-णिमित्त-पडिघायहेउँ, वित्तिच्छेयं करेह, मा देह किंचि दाणं, सुट्ट हओ सुद्ध छिण्णो भिण्णोत्ति उवदिसंता एवंविहं करेंति अलियं मणेण वायाए कम्मुणा य अकुसला अणज्जा अलियाणा अलियधम्म-णिरया अलियासु कहासु अभिरमंता तुट्ठा अलियं करेत्तु होइ य बहुप्पयारं।
. शब्दार्थ - अप्प-मह-उक्कोसगा - अल्प मध्यम और उत्कृष्ट-छोटी, मछोली और बड़ी, हम्मंतु - नष्ट कर दो, पोयसत्था - पोतसार्थ-नौकादल अथवा नौका स्थिति जनसमूह, सेणा णिज्जाउसेना निकले-प्रयाण करे, जाउडमरं - युद्ध भूमि में जाये, घोरा - भयंकर, वटुंतु - करे, संगामा - संग्राम, पवहंतु - चलने दो, सगडवाहणाई - गाड़ियों और वाहनों को, उवणयणं - उपनयन-यज्ञोपवित संस्कार, चोलमं - चूडाकर्म-बालक का प्रथम मुण्डन, विवाहो - विवाह, जण्णो - यज्ञ, अमुगम्मि - अमुक, होउ - होना चाहिए, दिवसेसु - दिन, करणेसु - करण में, मुहुत्तेसु - मुहूर्त में, णक्खत्तेसु - नक्षत्र में, तिहिसु - तिथि में, अज्ज - आज ही, ण्हवणं - स्नान, मुइयं - मुदित-प्रमुदित होकर, बहुखज्जपिज्जकलियं - बहुत-से खाद्य और पेय बनाकर, कोउगं - कौतुक-रक्षा के लिए पोटली अथवा सूत्र बन्धन, विण्हावणगं - विस्नापनक-स्नान विशेष, संतिकम्माणि - शांति कर्म, कुणह - करो, ससिरवि-गहोवराग - चन्द्र-सूर्य ग्रहण पर, विसमेसु - विषम-अमंगल कारक होने पर, सजणपरियणस्सस्वज़न-परिजन के, णियगस्स - निज के, जीवियस्सपरिरक्खणट्टयाए - जीवन की रक्षा के लिए, पडिसीसगाई - अपने मस्तक जैसा, देह - दो, दह - दो, सीसोवहारे - शीर्षोपहार-मस्तक की भेंटबलि, विविहोसहि - विविध प्रकार की औषधियां, मज-मंस - मद्य और मांस, भक्खण्णपाण - भक्ष्य अन्न-पानी, मल्लाणुलेवण - माल्यानुलेपन-सुगन्धित माला और चन्दनादि का विलेपन, पईव जलि - जलता हुआ दीपक-आरति आदि, उजल - अत्यंत-उच्च प्रकार का, सुगंधिधुवावगार -
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