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________________ ५८ . निशीथ सूत्र व्यापकता के अर्थ का द्योतक है। जहाँ जीवों का अत्यधिक क्षय अथवा विनाश हो, आरम्भसमारम्भ हो, वे खण्डित-विखण्डित हों, वैसा प्रसंग संक्षयी या संखंडि कहा जाता है। सामूहिक भोज अथवा जीमनवार में पृथ्वीकाय, अप्काय, तेजस्काय आदि जीवों की विपुल हिंसा होती है। इसलिए संभवतः सामूहिक जीमनवार के लिए संखडि शब्द का प्रयोग होने . लगा हो। जो व्युत्पत्तिलभ्य अर्थयुक्त यौगिक शब्द किसी एक विशेष अर्थ में निश्चित हो जाते हैं, रूढ़ि प्राप्त कर लेते हैं, उन्हें योगरूढ़ कहा जाता है। इस प्रकार संखडि शब्द योगरूढ़ प्रतीत होता है. क्योंकि आरम्भ-समारम्भ मलक हिंसा केवल जीमनवार में ही नहीं होती, अन्यान्य .. प्रसंगों में भी होती है। किन्तु संखडि शब्द जीमनवार के अर्थ में ही रूढ़ हो गया है। लोक प्रचलन के अनुसार विवाह - विषयक सामूहिक भोजों के संदर्भ में इस शब्द का . प्रयोग होता रहा है। राजस्थान के थली जनपद (बीकानेर संभाग) में जैन समाज में वाग्दान (सगाई) होने के पश्चात् विवाह से पूर्व वर को ससुराल में आमंत्रित कर जो सामूहिक भोज दिया जाता था अथवा भोज या जीमनवार का आयोजन होता था, उसे सुंखडि (संखडि) कहा जाता था। इस समय वह प्रथा प्रचलित नहीं है। निशीथ चूर्णि में 'संखडिपलोयणाए' की व्याख्या करते हुए कहा गया है - साधु पाकाशय में पहुँच कर, जहाँ चावल आदि अनेक पदार्थ पके हों, उन्हें देख कर मुझे अमुक दो, अमुक में से दो, इत्यादि कहते हुए जो आहार याचित करता है, वह संखडिप्रलोकना है*। ____ सामूहिक भोज में भिक्षा हेतु जाना और देख-देख कर मनोनुकूल याचित कर लेना आसक्ति या लोलुपतायुक्त है, दोष है, प्रायश्चित्त योग्य है। आरम्भ-समारम्भ जनित हिंसा बहुल प्रसंग होने से और भी अनेक दोष आशंकित हैं। अभिहत आहार ग्रहण का प्रायश्चित्त जे भिक्खू गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविढे समाणे परं तिघरंतराओ असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अभिहडं आहटु दिजमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ॥ १५॥ * निशीथ चूर्णि - पृष्ठ - २०६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004200
Book TitleNishith Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages466
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size9 MB
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