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तेरहमो उद्देसओ - त्रयोदश उद्देशक
सचित्त पृथ्वी आदि पर स्थित होने का प्रायश्चित्त जे भिक्खू अणंतरहियाए पुढवीए ठाणं वा सेजं वा णिसीहियं वा चेएइ चेएतं वा साइजइ॥ १॥ ___जे भिक्खू ससिणिद्धाए पुढवीए ठाणं वा सेजं वा णिसीहियं वा चेइए चेएंतं वा साइजइ॥ २॥
जे भिक्खू ससरक्खाए पुढवीए ठाणं वा सेजं वा णिसीहियं वा चेइए चेएंतं वा साइजइ॥३॥ - जे भिक्खू मट्टियकडाए पुढवीए ठाणं वा सेजं वा णिसीहियं वा चेइए चेएंतं वा साइज्जइ॥ ४॥ - जे भिक्खू चित्तमंताए पुढवीए ठाणं वा सेजं वा णिसीहियं वा चेइए
चेएतं वा साइज्जइ ॥५॥ . जे भिक्खू चित्तमंताए सिलाए ठाणं वा सेजं वा णिसीहियं वा चेइए चेएंतं वा साइजइ॥६॥
जे भिक्खू चित्तमंताए लेलूए ठाणं वा सेजं वा णिसीहियं वा चेइए चेएंतं वा साइज्जइ॥ ७॥ . जे भिक्खू कोलावासंसि वा दारुए जीवपइट्ठिए सअंडे सपामे सबीए सहरिए सओस्से सउदए सउत्तिंग-पणग-दग-मट्टियमक्कडा-संताणगंसि ठाणं वा सेजं वा णिसीहियं वा चेइए चेएतं वा साइज्जइ॥८॥
कठिन शब्दार्थ - अणंतरहियाए - अनन्तजीवरहित, असंख्यात जीव युक्त - सचित्त पृथ्वी के निकट की भूमि, चेएइ - (जानता हुआ) करता है, ससिणिद्धाए - सचित्त जल युक्त, ससरक्खाए - सचित्त रजयुक्त, मट्टियकडाए - मृत्तिकाकृता - सचित्त मिट्टी के लेप युक्त, चित्तमंताए - सूक्ष्म त्रसजीवयुक्त, सिलाए - महापाषाणखण्ड - बड़ी शिला, लेलूएमिट्टी का ढेला, कोलावासंसि - घुणों के आवास से युक्त, दारुए - काष्ठ, जीवपइट्ठिए -
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