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क्र० विषय ४७. विप्रनष्ट या अपहृत शय्या-संस्तारक की गवेषणा न करने का प्रायश्चित्त ४८. स्वल्प उपधि का भी प्रतिलेखन न करने का प्रायश्चित्त
तइओ उद्देसओ - तृतीय उद्देशक ४९. विधिप्रतिकूल भिक्षा-याचना का प्रायश्चित्त ५०. निषेध किए जाने पर भी पुनः भिक्षार्थ जाने का प्रायश्चित्त ५१. जीमनवार से आहार लेने का प्रायश्चित्त ५२. अभिहृत आहार ग्रहण का प्रायश्चित्त ५३. पाद - आमर्जन आदि का प्रायश्चित्त ५४. काय - आमर्जन आदि का प्रायश्चित्त ५५. व्रण के आमर्जन आदि का प्रायश्चित्त ५६. शल्य-क्रिया का प्रायश्चित्त ५७. अपानोदर - कृमि-निर्हरण-प्रायश्चित्त ५८. नखशिखाओं को काटने-संस्कारित करने का प्रायश्चित्त ५९. वस्ति आदि के बाल काटने का प्रायश्चित्त ६०. दन्त - आघर्षणादि - विषयक प्रायश्चित्त ६१. ओष्ठ-आमर्जन-प्रमार्जनादि - विषयक प्रायश्चित्त ६२. उत्तरोष्ठ-रोम-परिकर्म-प्रायश्चित्त ६३. अक्षि-रोम-कर्तन एवं अक्षि-परिकर्म-विषयक प्रायश्चित्त ६४. नेत्र-भूवों एवं देह-पाश्वों के रोम-परिकर्म संबंधी प्रायश्चित्त ६५. नेत्र-कर्ण-दन्त-नख-मलनिहरण-विषयक प्रायश्चित्त ६६. पसीने आदि के निवारण का प्रायश्चित्त ६७. विहार में मस्तक आवरिका का प्रायश्चित्त ६८. सन कपास आदि से वशीकरण सूत्र बनाने का प्रायश्चित्त ६९. मल-मूत्र परिष्ठापन-विषयक प्रायश्चित्त ७०. विधि विरुद्ध परिष्ठापन प्रायश्चित्त
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