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________________ द्वितीय अध्ययन - उत्पला को दोहद ४६ भीम नामक कूटग्राह तत्थ णं हथिणाउरे णयरे भीमे णामं कूडग्गाहे होत्था अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे। तस्स णं भीमस्स कूडग्गाहस्स उप्पला णामं भारिया होत्था अहीण। तए णं सा उप्पला कूडग्गाहिणी अण्णया कयाइ आवण्णसत्ता जाया यावि होत्था॥४४॥ कठिन शब्दार्थ - कूडग्गाहे - कूटग्राह-धोखे से जीवों को फंसाने वाला, अधम्मिए - अधर्मी, दुप्पडियाणंदे - दुष्प्रत्यानन्दः-बड़ी कठिनता से प्रसन्न होने वाला, आवण्णसत्ता - गर्भवती। . भावार्थ , उस हस्तिनापुर में महान् अधर्मी यावत् कठिनाई से प्रसन्न होने वाला भीम नाम का एक कूटग्राह-धोखे से जीवों को फंसाने वाला रहता था। उसकी उत्पला नामक स्त्री थी जो अन्यून पंचेन्द्रिय शरीर वाली थी। किसी समय वह उत्पला गर्भवती हुई। उत्पला को दोहद .. तए णं तीसे उप्पलाए कूडग्गाहिणीए तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउब्भूए-धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ ४ जाव सुलद्धे जम्मजीवियफले जाओ णं बहूणं णगरगोरूवाणं सणाहाण य जाव वसभाण य ऊहेहि य थणेहि य वसणेहि य छप्पाहि य ककुहेहि यं वहेहि य कण्णेहि य अच्छीहि य णासाहि य जिन्भाहि य ओट्टेहि य कंबलेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भजिएहि य परिसुक्केहि य लावणेहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सीधुं च पसण्णं च आसाएमाणीओ विसाएमाणीओ परिभाएमाणीओ परिभुजेमाणीओ दोहलं विणेति। ___तं जइ णं अहमवि बहूणं णगर जाव विणिज्जामि त्ति कटु तंसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि सुक्खा भुक्खा णिम्मंसा ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा णित्तेया दीणविमणवयणा पंडुल्लइयमुहा ओमंथियणयणवयणकमला जहोइयं पुप्फ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004199
Book TitleVipak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size7 MB
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