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________________ द्वितीय अध्ययन - वध्य पुरुष का वर्णन पधारे। प्रजा उनके दर्शनार्थ नगर से निकली और वहाँ का राजा कोणिक नरेश की तरह भगवान् के दर्शन करने को निकला, भगवान् ने धर्मोपदेश दिया, धर्मोपदेश को सुन कर राजा और प्रजा दोनों वापिस चले गये। वध्य पुरुष का वर्णन तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूई णामं अणगारे जाव लेसे छट्ठछट्टेणं जहा पण्णत्तीए पढम जाव जेणेव वाणियगामे जयरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उच्चणीय..... अडमाणे जेणेव रायमग्गे तेणेव ओगाढे । . तत्थ णं बहवे हत्थी पासइ संणद्ध - बद्धवम्मिय - गुडिय उप्पीलियकच्छे उद्दामियघंटे णाणामणिरयण- विविह-गे वेज्जउत्तरकं चुइज्जे पडिकप्पिए झयपडागवर-पंचामेल आरूढहत्थारोहे गहियाउहप्पहरणे अण्णे य तत्थ बहवे आसे पाइ संणद्धबद्धवम्मियगुडिए आविद्धगुडे ओसारियपक्खरे उत्तरकंचुइयओचूलमुहचंडाधर- चामरथासगपरिमंडियकडिए आरूढ अस्सारोहे गहियाउहप्पहरणे अण्णे य तत्थ बहवे पुरिसे पासइ संणद्धबद्धवम्मियकवए उप्पीलियसरासणपट्टीए पिणद्धगेवेज्जे विमलवरबद्ध चिंधपट्टे गहियाउहप्पहरणे । तेसिं च णं पुरिसाणं मज्झगयं एगं पुरिसं पासइ अवओडयबंधणं उक्त्तिकण्णणासं णेहतुप्पियगत्तं बज्झकरकडियजुय-णियत्थं कंठेगुणरत्तमल्लदामं चुण्णगुंडियगायं चुण्णयं वज्झपाणपीयं तिलं-तिलं चेव छिज्जमाणं कागणिमंसाई खावियंतं पावं खक्खरगसएहिं हम्ममाणं अणेग-र-णारीसंपरिवुडं चच्चरे-चच्चरे खंडपडहएणं उग्घोसिज्जमाणं, इमं च णं एयारूवं उग्घोसणं पडिसुणेइ-णो खलु देवाणुप्पिया! उज्झियगस्स दारगस्स केइ राया वा रायपुत्तो वा अवरज्झइ अप्पणी से साई कम्माई अवरज्झति ॥४१॥ कठिन शब्दार्थ - लेसे - तेजोलेश्या को संक्षिप्त किये हुए, छटुंछट्ठेणं - बेले बेले की Jain Education International ४३ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004199
Book TitleVipak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size7 MB
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