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विपाक सूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध .........................................................
विवेचन - गौतमस्वामी द्वारा मृगापुत्र के पूर्व भव के विषय में पूछे गये प्रश्न का प्रभु ने इस प्रकार समाधान कर गौतमस्वामी की जिज्ञासा को शांत की। तत्पश्चात् गौतमस्वामी मृगापुत्र के आगामी भव के संबंध में भी जानकारी प्राप्त करने की इच्छा से इस प्रकार पृच्छा करते हैं
आगामी भव की पृच्छा मियापुत्ते णं भंते! दारए इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गमिहिइ? कहिं उववजिहिइ? ___गोयमा! मियापुत्ते दारए छव्वीसं वासाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इहेव जंबूद्दीवे भारहे वासे वेयडगिरिपायमूले सीहकुलसि सीहत्ताए पच्चायाहिइ, से णं तत्थ सीहे भविस्सइ अहम्मिए जाव साहसिए सुबहुं पावं जाव समज्जिणइ, समज्जिणित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोससागरोवमट्टिइएसु जाव उववजिहिइ, से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता सिरीसवेसु उववजिहिइ, तत्थ णं कालं किच्चा दोच्चाए पुढवीए उक्कोसेणं तिण्णि सागरोवमाई.....से णं तओ अणंतरं उव्वहिता पक्खीसु उववजिहिइ, तत्थ वि कालं किच्चा तच्चाए पुढवीए सत्त सागरोवमाई.....से णं तओ सीहेसु य..... तयाणंतरं चोत्थीए उरगो पंचमीए, इत्थीओ, छट्ठीए, मणुओ, अहेसत्तमाए, तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता से जाइं इमाइं जलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं मच्छकच्छभ-गाह-मगर-सुंसुमाराईणं अडतेरस जाइकुलकोडिजोणिपमुहसयसहस्साई, तत्थ णं एगमेगंसि जोणी विहाणंसि अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव भुजो-भुजो पच्चायाइस्सइ, से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता..........चउप्पएसु उरपरिसप्पेसु भुयपरिसप्पेसु खहयरेसु चउरिदिएसु तेइंदिएसु बेइंदिएसु वणप्फइएसु कडुयरुक्खेसु कडुयदुद्धिएसु वाउ० तेउ० आउ० पुढवी० अणेगसयसहस्सखुत्तो..... से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता सुपइट्ठपुरे णयरे गोणत्ताए पच्चायाहिइ, से णं तत्थ उम्मुक्क जाव अण्णया कयाइ पढमपाउसंसि गंगाए महाणईए खलीणमट्टियं खणमाणे तडीए पेल्लिए समाणे कालगए तत्थेव सुपइट्ठपुरे णयरे सेट्टिकुलंसि
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