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________________ प्रथम अध्ययन - जंबू स्वामी की पृच्छा और सुधर्मा स्वामी का उत्तर विवेचन - सुधर्मा स्वामी का वर्णन करने के बाद सूत्रकार ने जंबू स्वामी ने विषय में अधिक कुछ नहीं लिखते हुए गौतम स्वामी के समान इनके जीवन को बतला कर इनकी आदर्श साधुचर्या का संक्षेप में परिचय दे दिया है। गौतम स्वामी के साधु जीवन का वर्णन भगवती सूत्र के शतक १ उद्देशक १ में किया गया है। जिज्ञासुओं के लिए वह स्थल दर्शनीय एवं मननीय है। .. . जंबू स्वामी की पृच्छा और सुधर्मा स्वामी का उत्तर तए णं अज्जजंबू णामं अणगारे जायसढे जाव जेणेव अज्जसुहम्मे अणगारे तेणेव उवागए तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेत्ता, वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता जाव पज्जुवासड़ (पज्जुवासमाणे) एवं वयासी-जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं दसमस्स अंगस्स पण्हावागरणाणं अयम? पण्णत्ते, एक्कारसमस्स णं भंते! अंगस्स विवागसुयस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्टे पण्णत्ते?॥४॥ ___तए णं अज्जसुहम्मे अणगारे जंबू अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू! समणेणं. जाव संपत्तेणं एक्कारसमस्स अंगस्स विवागसुयस्स दो सुयक्खंधा पण्णत्ता, तंजहा-दुहविवागा य सुहविवागा य॥५॥ जइ णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं एक्कारसमस्स अंगस्स विवागसुयस्स दो सुयक्खंधा पण्णत्ता, तंजहा-दुहविवागा य सुहविवागा य, पढमस्स णं भंते! सुयक्खंधस्स दुहविवागाणं समणेणं जाव संपत्तेणं कइ अज्झयणा पण्णता?॥६॥ तए णं अज्जसुहम्मे अणगारे जंबू अणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू! समणेणं० आइगरेणं तित्थगरेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा 'मियापुत्ते य उज्झियएं अभग्ग सगडे बहस्सई णंदी। - उंबर सोरियदत्ते य देवदत्ता य अंजू य॥१॥॥७॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004199
Book TitleVipak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size7 MB
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