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विपाक सूत्र- प्रथम श्रुतस्कन्ध
कठिन शब्दार्थ - कच्छुल्लं - कंडू-खुजली के रोग से युक्त, कोढियं कुष्ठी कुष्ठ रोग वाला, दाओयरियं - जलोदर रोग वाला, भगंदरियं - भगंदर का रोगी, अरिसिल्लं - अर्शसबवासीर का रोगी, कासिल्लं कास का रोगी, सासिल्लं - श्वास रोग वाला, सोगिलं शोथ युक्त शोथ - सूजन का रोगी, सूयमुहं - शूनमुख - जिसके मुख्य पर सोजा पड़ा हुआ हो; सूयहत्थं - सूजे हुए हाथों वाला, सूयपायं - सूजे हुए पांव वाला, सडियहत्थंगुलियं - सड़ी हुई हाथों की अंगुलियों वाला, सडियकण्णणासियं - जिसके कान और नासिका सड़ गये हैं, रसिया - रसिका - व्रणों से निकलते हुए सफेद पानी से, पूएण - पीब (पीप) से, थिविथिविंतथिव थिव शब्द से युक्त, वणमुहकिमिउत्तुयंतपगलंत पूयरुहिरं - कृमियों से उत्तुद्यमान अत्यंत पीड़ित तथा गिरते हुए पूय-पीब और रुधिर वाले व्रण मुखों से युक्त, लालापगलंतकण्णणासंजिसके कान और नाक क्लेद तंतुओं-फोड़े के बहाव की तारों से गल गये हैं, पूयकवले पूय-पीब के कवलों-ग्रासों का, रुहिरकवले - रुधिर के कवलों का, वममाणं- वमन करता हुआ, कट्ठाई - दुःखद, कलुणाई - करुणोत्पादक, वीसराइं विस्वर - दीनता वाले वचन, कूयमाणं - बोलता हुआ, मच्छियाचडगरपहकरेणं - मक्षिकाओं के के आधिक्य से, अणिज्जमाणमग्गं
विस्तृत समूह से - मक्षिकाओं
अन्वीय मानमार्ग-उस के पीछे और आगे मक्षिकाओं
के झुण्ड के झुण्ड लगे हुए थे, फुट्टहडाहडसीसं - स्फुटितात्यर्थशीषं - जिसके सिर के केश नितान्त बिखरे हुए थे, दंडिखंडवसणं - दंडिखंडवसनं टाकियों वाले वस्त्रों को धारण किये हुए, खंडमल्लयखंडघडहत्थगयं - जिसके हाथ में भिक्षा पात्र तथा जलं पात्र थे, देहंबलियाएभिक्षावृत्ति से, वित्तिं - आजीविका, उच्चणीयमज्झिमकुलाई - ऊंच (धनी) नीच (निर्धन ) तथा मध्यम कुलों (घरों) से, अहापज्जत्तं - यथा पर्याप्त अर्थात् यथेष्ट आहार, अब्भणुण्णाए समाणे - आज्ञा को प्राप्त किये हुए, अप्पाणं आत्मा से बिलमिव पणगभूए - बिल में जाते हुए पन्नक - सर्प की भांति, आहारमाहारेइ - आहार का ग्रहण करते हैं।
भावार्थ उस काल तथा उस समय भगवान् गौतम स्वामी बेले के पारणे के निमित्त भिक्षा के लिए पाटिलषण्ड नगर में पधारते हैं, उस पाटलिषण्ड नगर में पूर्व दिशा के द्वार से प्रवेश करते हैं। वहाँ एक पुरुष को देखते हैं जो कण्डु रोग वाला, कुष्ठ रोग वाला, जलोदर रोग वाला, भगंदर रोग वाला, अर्श- बवासीर का रोग वाला, उस को कास और श्वास तथा शोथ का रोग भी हो रहा था, उसका मुख सूजा हुआ था, हाथ और पैर फूले हुए थे, हाथ और पैर
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