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विपाक सूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध
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. दुर्योधन के दुष्कृत्य तए णं से दुजोहणे चारगपालए सीहरहस्स रण्णो बहवे चोरे य पारदारिए य गंठिभेए य रायावयारी य अणधारए य बालघायए य विसंभघायए य जूयगरे य संडपट्टे य पुरिसेहिं गिण्हावेइ गिण्हावेत्ता उत्ताणए पाडेइ, पाडेत्ता लोहदंडेणं मुहं विहाडेइ विहाडेता अप्पेगइए तत्ततंबं पज्जेइ अप्पेगइए तउयं पज्जेइ अप्पेगइए सीसगं पजेइ अप्पेगइए कलकलं पजेइ अप्पेगइए खारतेल्लं पजेड़ अप्पेगइयाणं तेणं चेव अभिसेयगं करेइ। ___ अप्पेगइए उत्ताणए पाडेइ पाडेत्ता आसमुत्तं पज्जेइ अप्पेगइए हत्थिमुत्तं पज्जेड जाव एलमुत्तं पज्जेइ, अप्पेगइए हेट्ठामुहे पाडेइ, छडछडस्स वम्मावेइ वम्मावेत्ता 'अप्पेगइयाणं तेणं चेव ओवीलं दलयइ, अप्पेगइए हत्थं-दुयाइं बंधावेइ अप्पेगइए पायंदुए बंधावेइ, अप्पेगइए हडिबंधणं करेइ अप्पेगइए णियडबंधणं करेइ अप्पेगइए संकलबंधणं करेइ, अप्पेगइए संकोडियमोडियए करेइ अप्पेगइए हत्थच्छिण्णए करेइ जाव सत्थोवाडिए करेइ, अप्पेगइए वेणुलयाहि य जाव वायरासीहि यः हणावेइ, ___ अप्पेगइए उत्ताणए कारवेइ कारवेत्ता उरे सिलं दलावेइ, दलावेत्ता तओ लउडं छुहावेइ छुहावेत्ता पुरिसेहिं उक्कंपावेइ, अप्पेगइए तंतीहि य जाव सुत्तरज्जूहि य हत्थेसु य पाएसु य बंधावेइ, अगडंसि उच्चूलवालगं पज्जेइ, अप्पेगइए असिपत्तेहि य जाव कलंबचीरपत्तेहि य पच्छावेइ पच्छावेत्ता खारतेल्लेणं अन्भंगावेइ॥११३॥
कठिन शब्दार्थ - पारदारिए - परस्त्री लंपटों को, गंठिभेए - गांठ कतरों की, रायावयारीराजा के अपकारियों-शत्रुओं को, अणधारए - ऋणधारकों, बालघायए - बाल घातियोंबालकों की हत्या करने वालों को, विसंभघायए - विश्वासघातकों, जूयगरे - जुआरियों को, संडपट्टे - धूर्तों को, उत्ताणए - ऊर्ध्वमुख-सीधा, विहाडेइ - खुलवाता है, पज्जेइ - पिलाता
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