________________
१२८
विपाक सूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध
____ तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स बहवे वेणुलयाण य वेत्तलयाण य चिंचालयाण य छियाण य कसाण य वायरासीण य पुंजा णिगरा चिटुंति, तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स बहवे सिलाण य लउडाण य मोग्गराण य कणंगराण य पुंजा णिगरा चिटुंति।
तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालगस्स बहवे तंता(तंती)ण य वरत्ताण य वागरजूण य वालयसुत्तरज्जूण य पुंजा णिगरा चिटुंति। तस्स णं दुजोहणस्स चारगपालगस्स बहवे असिपत्ताण य करपत्ताण व खुरपत्ताण य कलंबचीरपत्ताण य पुंजा णिगरा चिटुंति।
तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स बहवे लोहखीलाण य कडसक्कराण य चम्मपट्टाण य अल्लप(ट्टा)ल्लाण य पुंजा णिगरा चिटुंति।।... __ तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालगस्स बहवे सूईण य डंभणाण य कोहिल्लाण य पुंजा णिगरा चिटुंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारंगपालगस्स बहवे पच्छा(सत्था)ण य पिप्पलाण य कुहाडाण य णहच्छेयणाण य दन्मतिणाण य पुंजा गिरा चिटुंति॥११२॥ ____कठिन शब्दार्थ - वेणुलयाण - वेणुलता-बांस के चाबुक से, वेत्तलयाण - वेत्रलताबेंत के चाबुकों से, चिंचालयाण - इमली वृक्ष के चाबुकों से, छियाण - चिक्कण चर्म के कोडे से, कसाण - चर्म युक्त चाबुक, वायरासीण - वल्करश्मि अर्थात् वृक्षों की त्वचा से निर्मित चाबुक, सिलाण - शिलाओं, लउडाण - लकड़ियों, मोग्गराण - मुमरों, कणंगराणकनंगरों-जल में चलने वाले जहाज आदि को स्थिर करने वाले शस्त्र विशेषों के, तंतीण - तंत्रियों-चमड़ें की डोरियों, वरत्ताण - एक प्रकार की रस्सियों, वागरज्जूण - वल्करज्जुओंवृक्षों की त्वचा से निर्मित रस्सियों, वालयसुत्तरज्जूण - केशों से निर्मित रज्जुओं, सूत की रस्सियों के, असिपत्ताण- कृपाणों, करपत्ताण - आरों, खुरपत्ताण - क्षुरको-उस्तरों, कलम्बचीरपत्ताण - कलम्बचीर पत्र नामक शस्त्र विशेषों के, लोहखीलाण - लोहे के कीलों, कासक्राण - बांस की शलाकाओं-सलाइयों, चम्मपट्टाण - चर्मपट्टों-चमड़े के पट्टों,
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org