SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 284
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ **************************************** श्रुत ज्ञान के भेद-प्रभेद - दृष्टिवाद चूलिका वस्तु - पहले उत्पाद पूर्व की ४, दूसरे अग्रायणीय पूर्व की १२, तीसरे वीर्यप्रवाद पूर्व की ८ और चौथे अस्तिनास्तिप्रवाद पूर्व की १० चूलिका वस्तु कही है। शेष दस पूर्वों की चूलिका वस्तुएँ नहीं हैं । सब चूलिका वस्तुएँ ३४ कही हैं। historyओगे । ******* अब सूत्रकार पूर्वों की वस्तुओं की संख्या सरलता से स्मरण में रखने के लिए संग्रहणी गाथा प्रस्तुत करते हैं। दस चोद्दस अट्ठ अट्ठारसेव, बारस दुवे य वत्थूणि । सोलस तीसा बीसा, पण्णरस अणुप्पवायम्मि ॥ ८९ ॥ बारस इक्कारसमे, बारसमे तेरसमे वत्थूणि । तीसा पुण तेरसमे, चोइसमे पण्णवीसाओ ॥ ९० ॥ चौदह पूर्वों में क्रमशः १०, १४, ८, १८, १२, २,१६,३०,२०,१५, १२, १३, ३० और २५ वस्तुएँ कही हैं। Jain Education International २६७ ******************** चत्तारि दुवाल अट्ठ चेव, दस चेव चुल्लवत्थूणि । आइल्लाण चउण्हं, सेसाणं चूलिया णत्थि ॥ ९१ ॥ से त्तं पुव्वगए । आदि के चार पूर्वों में क्रमशः ४, १२, ८ तथा १० चूलिका वस्तु कही हैं। शेष की चूलिकाएँ नहीं हैं। यह वह पूर्वगत है । से किं अणुओगे ? अणुओगे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा मूलपढमाणुओगे, - For Personal & Private Use Only प्रश्न 'वह ' अनुयोग' क्या है ? उत्तर - अनुयोग के दो भेद हैं। वे इस प्रकार हैं १. मूल प्रथमानुयोग और २. गंडिकानुयोग । विवेचन - अनुयोग का अर्थ है मूल विषय के साथ अनुरूप या अनुकूल सम्बन्ध, ऐसे सम्बन्ध वाला विषय जिस शास्त्र में हो, उसे 'अनुयोग' कहते हैं । से किं तं मूलपढमाणुओगे ? मूलपढमाणुओगे णं अरहंताणं भगवंताणं पुव्वभवा, देवलोगगमणाई, आउं, चवणाई, जम्मणाणि, अभिसेया, रायवरसिरीओ, पव्वज्जाओ, तवा य उग्गा, केवलणाणुप्पयाओ, तित्थपवत्तणाणि य, सीसा, गणा, गणहरा, अज्जा पवत्तिणीओ, संघस्स चउव्विहस्स जं च परिमाणं, जिणमणपज्जव - ओहिणाणी, सम्मत्तसुयणाणिणो य वाई, अणुत्तरगई य, उत्तरवेडव्विणो य मुणिणो, जत्तिया - www.jainelibrary.org
SR No.004198
Book TitleNandi Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages314
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy