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________________ नन्दी सूत्र आवश्यक व्यक्तिरिक्त के भेद से किं तं आवस्यवइरित्तं ? आवस्सयवइरित्तं दुविहं पण्णत्तं तं जहा - कालियं च, उक्कालियं च । २२६ प्रश्न- वह आवश्यक व्यतिरिक्त क्या है ? उत्तर - आवश्यक व्यतिरिक्त के दो भेद हैं । यथा - १. कालिक और २. उत्कालिक । विवेचन - आवश्यक से भिन्न जितने सम्यक् श्रुत हैं, वे सब आवश्यक व्यतिरिक्त हैं। १. कालिक - काल में ही पढ़ने योग्य २. उत्कालिक - काल उपरान्त में भी पढ़ने योग्य । ************* उत्कालिक सूत्र के भेद से किं तं उक्कालियं ? उक्कालियं अणेगविहं पण्णत्तं तं जहा दसवेआलियं, कप्पियाकप्पियं, चुल्लकप्पसुयं महाकप्पसुयं, उववाइयं, रायपसेणियं, जीवाभिगमो, पण्णवणा, महापण्णवणा, पमायप्पमायं, नंदी, अणुओगदाराई, देविंदत्थओ, तंदुलवेयालियं, चंदाविज्जयं, सूरपण्णत्ती, पोरिसिमण्डलं, मण्डलपवेसो, विज्जाचरणविणिच्छओ, गणिविज्जा, झाणविभत्ती, मरणविभत्ती, आयविसोही, वीयरागसुयं, संलेहणासुयं, विहारकप्पो, चरणविही, आउरपच्चक्खाणं, महापच्चक्खाणं एवमाइ । से त्तं उक्कालियं । प्रश्न - वह उत्कालिक क्या है ? उत्तर उत्कालिक शास्त्र अनेक हैं। यथा- दशवैकालिक, कल्पाकल्प, लघुकल्प, महाकल्प, औपपातिक, राजप्रश्नीय, जीवाभिगम, प्रज्ञापना, महाप्रज्ञापना, प्रमादा-प्रमाद, नन्दी, अनुयोगद्वार, देवेन्द्रस्तव, तंदुलवैचारिक, चन्द्रवेध्यक, सूर्यप्रज्ञप्ति, पौरुषीमण्डल, मण्डप्रवेश, विद्याचरणविनिश्चय, गणिविद्या, ध्यान विभक्ति, मरण विभक्ति, आत्मविशुद्धि, वीतरागश्रुत, संलेखना श्रुत, विहारकल्प, चरणविधि, आतुरप्रत्याख्यान, महाप्रत्याख्यान इत्यादि । ये उत्कालिक के भेद हुए । विवेचन - जो सूत्र, दिन और रात्रि के दूसरे और तीसरे प्रहर में भी पढ़ा जा सकता है, उसे 'उत्कालिक सूत्र' कहते हैं । १. 'दशवैकालिक' - इसमें साधु धर्म का संक्षिप्त संकलन है। २. 'कल्ब अकल्प' - इसमें साधु के कल्प-अकल्प का वर्णन था । ३. 'लघुकल्प' - इसमें स्थविरकल्प जिनकल्प का संक्षिप्त वर्णन था। ४. 'महाकल्प' - इसमें स्थविरकल्प जिनकल्प का विस्तृत वर्णन था । ५. 'औपपातिक'- इसमें देवगति में Jain Education International - For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004198
Book TitleNandi Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParasmuni
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages314
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size7 MB
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