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मति ज्ञान - अवग्रह के भेद
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उत्तर - अवग्रह के दो भेद इस प्रकार हैं-१. अर्थ अवग्रह और २. व्यञ्जन अवग्रह।
विवेचन - श्रोत्र आदि उपकरण द्रव्यों के साथ शब्दादि पुद्गलों का सम्बन्ध होना और श्रोत्रादि भाव इन्द्रियों के द्वारा शब्दादि पुद्गलों को अव्यक्त रूप में जानना-'अवग्रह' कहलाता है।
से किं तं वंजणुरगहे? वंजणुग्गहे चउबिहे पण्णत्ते, तंजहा-सोइंदियवंजणुग्गहे, घाणिंदियवंजणुग्गहे, जिबिभंदियवंजणुग्गहे, फासिंदियवंजणुग्गहे। से तं वंजणुग्गहे॥
प्रश्न - वह व्यंजन अवग्रह क्या है?
उत्तर - व्यंजनावग्रह के चार भेद हैं - १. श्रोत्रेन्द्रिय व्यंजनावग्रह, २. घ्राणेन्द्रिय व्यंजनावग्रह, ३. जिह्वेन्द्रिय व्यंजनावंग्रह तथा ४. स्पर्शनेन्द्रिय व्यंजनावग्रह, यह व्यंजनावग्रह का प्ररूपण हुआ।
विवेचन - श्रोत्र आदि उपकरण द्रव्य इन्द्रियों के साथ शब्दादि पुद्गलों का व्यंजन-सम्बन्धसंयोग होना-'व्यंजन अवग्रह' कहलाता है।
. १. श्रोत्र इन्द्रिय व्यंजन अवग्रह-श्रोत्र उपकरण द्रव्य इन्द्रिय के साथ शब्द पुद्गलों का सम्बन्ध होना। २. घ्राण इन्द्रिय व्यंजन अवग्रह-घ्राण उपकरण द्रव्य इन्द्रिय के साथ, गंध पुद्गलों का
म्बन्ध होना। ३. जिव्हा इन्द्रिय व्यंजन अवग्रह-जिव्हा उपकरण द्रव्य इन्द्रिय के साथ, रस पुद्गलों का सम्बन्ध होना। ४. स्पर्शन इन्द्रिय व्यंजन अवग्रह-स्पर्शन इन्द्रिय के साथ, स्पर्श पुद्गलों का सम्बन्ध होना।
विशेष. - १. श्रोत्र २. घ्राण ३. जिह्वा और ४. स्पर्शन, ये चार भाव इन्द्रियाँ ही शब्दादि पदार्थों को श्रोत्र आदि उपकरण द्रव्य इन्द्रिय के साथ सम्बन्ध होने पर जानती हैं। अतएव इन चार इन्द्रियों का ही व्यंजन अवग्रह कहा है।
भाव चक्षुइन्द्रिय और भाव मन, रूप आदि को उनका चक्षु उपकरण द्रव्य इन्द्रिय और द्रव्य मन के साथ सम्बन्ध हुए बिना ही जानते हैं, अतएव चक्षु इन्द्रिय का और मन का व्यंजन अवग्रह नहीं कहा है।
से किं तं अत्थुग्गहे? अत्थुग्गहे छविहे पण्णत्ते, तं जहा-सोइंदियअत्थुग्गहे, चक्खिंदियअत्थुग्गहे, घाणिंदियअत्थुग्गहे, जिब्भिंदियअत्थुग्गहे, फासिंदियअत्थुग्गहे, णोइंदियअत्थुग्गहे॥२९॥
प्रश्न - वह अर्थ अवग्रह क्या है ?
उत्तर - अर्थावग्रह के छह भेद हैं-१. श्रोत्रेन्द्रिय अर्थावग्रह २. चक्षुरिन्द्रिय अर्थावग्रह ३. घाणेन्द्रिय अर्थावग्रह, ४. जिह्वेन्द्रिय अर्थावग्रह ५. स्पर्शनेन्द्रिय अर्थावग्रह तथा ६. अनिन्द्रिय अर्थावग्रह। .
विवेचन - श्रोत्र आदि उपकरण द्रव्य इन्द्रियों के निमित्त से श्रोत्र आदि भाव इंद्रियों के द्वारा शब्दादि रूपी अरूपी पदार्थों को अव्यक्त रूप में जानना, उसे 'अर्थ अवग्रह' कहते हैं।
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