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नन्दी सूत्र
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बड़ा दर्पण रख दो। आइने में अपने प्रतिबिम्ब को देखकर यह उसे दूसरा मुर्गा समझेगा और उसके साथ लड़ने लगेगा। इस तरह यह लड़ाकू बन जायेगा।"
गाँव के लोगों ने रोहक के परामर्श अनुसार किया। इस प्रकार थोड़े ही दिनों में वह मुर्गा लड़ाकू बन गया। इससे राजा बहुत प्रसन्न हुआ। रोहक की बुद्धि का यह चौथा उदाहरण है। .
५. तिलों की गिनती .. कुछ दिनों के बाद राजा ने तिलों से भरी हुई कुछ गाड़ियाँ उस गाँव के लोगों के पास भेजी और कहलाया कि-"इसमें कितने तिल हैं ? उनकी संख्या शीघ्र बताओ।"
राजा की उपरोक्त आज्ञा सुनकर सभी लोग पुनः चिन्तित हो गये। वे सोचने लगे कि-"तिलों का वजन बताया जा सकता है, किन्तु इनकी गिनती कैसे. बताई जाये?" उन्हें कोई उपाय नहीं सूझा। तब रोहक को बुलाकर पूछा। रोहक ने कहा-आप सभी लोग राजा के पास जाओ और कहो कि-"स्वामिन्! हम गणितज्ञ तो. नहीं है जो इन तिलों की गिनती बता सकें। किंतु आपकी आज्ञा शिरोधार्य करके उपमा से कहते हैं कि "आकाश में जितने तारे हैं, उतने ही ये तिल हैं। यदि आपको विश्वास नहीं है, तो राजपुरुषों द्वारा तिलों की और तारों की गिनती करवा लीजिये, आपको स्वयं पता लग जायेगा।" __लोगों को रोहक की बात पसन्द आ गई। राजा के पास जाकर उन्होंने वैसा ही उत्तर दिया। उनका उत्तर सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ। उसने पूछा-"यह उत्तर किसने बताया है ?" लोगों ने कहा-"यह रोहक की बुद्धि का काम है। उसी ने हमें यह उत्तर बताया है।" यह बात सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ। रोहक की बुद्धि का यह पाँचवाँ उदाहरण है।
६. बालू की रस्सी कुछ समय पश्चात् राजा ने गाँव वालों के पास यह आज्ञा भेजी कि 'तुम्हारे गाँव के पास जो नदी है, उसकी बालू बहुत बढ़िया है। उस बालू की एक रस्सी बनाकर शीघ्र भेज दो।'
राजा की उपरोक्त आज्ञा सुन कर गाँव के लोग फिर से बड़े असमंजस में पड़े। इस विषय में भी उन्होंने रोहक से पूछा। रोहक ने कहा-“तुम राजा के पास जाकर अर्ज करो कि "स्वामिन्! हम तो नट हैं और नाचना जानते हैं। हम रस्सी बनाना नहीं जानते, परन्तु आपकी आज्ञा का पालन करना हमारा कर्तव्य है। इसलिए हमारी प्रार्थना है कि राज-भण्डार तो बहुत प्राचीन है। उसमें बालू की बनी हुई कोई पुरानी रस्सी हो, तो नमूने के तौर पर हमें दे दीजिये। हम उसे देखकर उसी के अनुसार नई रस्सी बनाकर भेज देंगे।"
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