________________
मांकन्दी नामक नववां अध्ययन - दक्षिणी वन खण्ड का रहस्योद्घाटन . १९ SccccccccccccccccccccccccccccccccccccccGEEEEEEEEE कोई न कोई रहस्यभूत कारण होना चाहिए। इसलिए दक्षिणी वनखंड में जाना हमारे लिए श्रेयस्कर होगा-अच्छा होगा। यों सोचकर उन्होंने वहाँ जाने का निर्णय किया। तदनुसार वे दक्षिणी वनखंड की ओर रवाना हुए।
दक्षिणी वन खंड का रहस्योद्घाटन ..
तए णं गंधे णित्ताइ से जहाणामए अहिमडेइ वा जाव अणिट्ठतराए चेव।,
तए णं ते मागंदियदारया तेणं असुभेणं गंधेणं अभिभूया समाणा सएहिं २ उत्तरिज्जेहिं आसाइं पिहेंति २ त्ता जेणेव दक्खिणिल्ले वणसंडे तेणेव उवागया।
भावार्थ - ज्यों ही वे आगे बढ़े, दक्षिण दिशा की ओर से वेगपूर्वक दुर्गंध आने लगी। वह दुर्गंध मृत सर्प यावत् भेडिए आदि के मृत शरीर की दुर्गंध से भी अधिकं अनिष्ट-अप्रिय थी।
माकंदी पुत्रों ने उससे घबराकर अपने-अपने उत्तरीयों से अपनी नासिका ढकी। वैसा कर वे दक्षिणी वनखंड की ओर गए।
(३३) . तत्थ णं महं एगं आघयणं पासंति अट्ठियरासिसयसंकुलं भीमदरिसणिज्जं एगं च तत्थ सूलाइयं पुरिसं कलुणाई कट्ठाई विस्सराई कुव्वमाणं पासंति २ ता भीया जाव संजायमया जेणेव से सूलाइए पुरिसे तेणेव उवागच्छंति २ ता तं सूलाइयं पुरिसं एवं वयासी - एस णं देवाणुप्पिया! कस्स आघयणे तुमं च णं के कओ वा इहं हव्वमागए केण वा इमेयारूवं आवयं पाविए? __ शब्दार्थ - आघायण - आघातन-वघस्थान, विस्सराई - विकृत ध्वनि युक्त, आवयं- . आपद-संकट।
. भावार्थ - उन्होंने वहाँ एक बड़ा वध स्थान देखा। जो सैकड़ों हड्डियों के ढेर से व्याप्त था। देखने में बड़ा ही भयंकर प्रतीत होता था। वहीं.पर उन्होंने शूली पर चढ़ाए हुए पुरुष को देखा, जो करुणं, विकृत स्वर युक्त, कष्ट पूर्ण शब्दों में विलाप कर रहा था। उसे देख कर वे डर गए यावत् भयभीत हो गए।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org