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दसवां वर्ग - शेष अध्ययन
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हे जंबू! इस प्रकार यह दसवें वर्ग का निक्षेप है। .. दसवां वर्ग परिसमाप्त होता है।
.. || दसवां वर्ग समाप्त॥
. सूत्र-४ .. . .. एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं सयंसंबुद्धेणं पुरिसोत्तमेणं (पुरिससीहेणं) जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं अयमढे पण्णत्ते। ..धम्मकहा सुयक्खंधो समत्तो।
दसहिं वग्गेहिं पायधम्मकहाओ समत्ताओ। ॥ बीओ सुयक्खंधो समत्ता॥
भावार्थ - आर्य सुधर्मा स्वामी ने कहा कि - हे जंबू! आदिकर, तीर्थंकर, स्वयं-संबुद्ध, पुरुषोत्तम यावत् मोक्ष-प्राप्त श्रमण भगवान् महावीर स्वामी ने 'धर्मकथा' नामक द्वितीय श्रुतस्कन्ध का यह अर्थ, विवेचन एवं विस्तार कहा है।
धर्मकथा मामक द्वितीय श्रुतस्कन्ध दस वर्गों में समाप्त हुआ। इस प्रकार ज्ञातृ धर्मकथा नामक छठा अंग सूत्र परिसमाप्त होता है।
....|| दूसरा श्रुत स्कन्ध समाप्त॥
॥ इति ज्ञाताधर्मकथांग समाप्तम्॥
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