________________
आठवां वर्ग - प्रथम अध्ययन
३४६ xcccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccccx
आठवां वर्ग
सूत्र-१ अट्ठमस्स उक्खेवओ।
एवं खलु जंबू! जाव चत्तारि अज्झयणा पण्णत्ता तंजहा - चंदप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा।
भावार्थ - अष्टम वर्ग का उपोद्घात पूर्वानुरूप कथनीय है।
जंबू के प्रश्न का समाधान करते हुए आर्य सुधर्मा स्वामी बोले - हे जंबू! यावत् अष्टम वर्ग के चार अध्ययन बतलाए गए हैं, वे इस प्रकार हैं - चंद्रप्रभा, ज्योत्नाभा, अर्चिमाली तथा प्रभंकरा।
प्रथम अध्ययन .
सूत्र-२ पढमज्झयणस्स उक्खेवओ।
एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ। ____ भावार्थ - प्रथम अध्ययन का उत्क्षेप पूर्वानुसार यथावत् योजनीय है। श्री सुधर्मा स्वामी ने जंबू स्वामी के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि-हे जंबू! उस काल, उस समय श्रमण भगवान् महावीर स्वामी राजगृह नगर में पधारे यावत् विशाल जनसमूह दर्शन, वंदन हेतु आया। धर्मोपदेश सुना, पर्युपासनारत हुआ।
सूत्र-३ तेणं कालेणं तेणं समएणं चंदप्पभादेवी चंदप्पभंसि विमाणंसि चंदप्पभंसि सीहासणंसि सेसं जहा कालीए णवरं पुत्वभवे महुराए णयरीए भंडि(चंद)वडेंसए
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org