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________________ अपरकंका नामक सोलहवां अध्ययन राजा पाण्डु द्वारा हस्तिनापुर का निमंत्रण ************=e:******* णयरस्स बहिया वासुदेव पामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं आवासे कारेह अगखंभसय० तहेव जाव पच्चप्पिणंति । भावार्थ राजा पांडु ने जब यह जाना कि वासुदेव आदि राजा आ गए हैं, तब उसने कौटुंबिक पुरुषों को आज्ञा दी - देवानुप्रियो ! जाओ और हस्तिनापुर नगर के बाहर वासुदेब आदि सहस्रों राजाओं के लिए आवास तैयार कराओ, जो सैकड़ों स्तंभों पर समासृत (टिका) हों । यहाँ आवास का विस्तृत वर्णन पूर्ववत् योजनीय है यावत् कौटुंबिक पुरुषों ने राजा के आदेशानुरूप व्यवस्था कर राजा को ज्ञापित किया । २०१ XCXCXCX (१३४) तए णं ते वासुदेव पामोक्खा बहवे राय सहस्सा जेणेव हत्थिणाउरे णयरे तेणेव उवागच्छंति। तए णं से पंडूराया तेसिं वासुदेव पामोक्खा णं आगमणं जाणित्ता हट्ठतुट्ठे ण्हाए कयबलिकम्मे जहा दुपए जाव जहारिहं आवासे दलयइ । तए णं ते वासुदेव पामोक्खा बहवे राय सहस्सा जेणेव सया २ आवासा तेणेव उवागच्छंति० तहेव जाव विहरंति । भावार्थ - तदनंतर वासुदेव आदि सहस्रों राजा हस्तिनापुर नगर में आए । राजा पांडु उन्हें आया जानकर बहुत हर्षित एवं उल्लसित हुआ । उसने स्नान किया । नित्य-नैमित्तिक मांगलिक कृत्य किए यावत् राजा द्रुपद की तरह उनकी आवास व्यवस्था की। वासुदेव आदि सहस्रों राजा अपने-अपने आवासों में आए। आकर पूर्ववत् यावत् सानंद स्थिर हुए। (१३५) तएं णं से पंडू राया हत्थिणाउरं णयरं अणुपविस २ त्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं वयासी - तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! विपुलं असणं ४ तहेव जाव उवणेंति। तए णं ते वासुदेव पामोक्खा बहवे रायसहस्सा ण्हाया कयबलिकम्मा तं विपुलं असणं ४ तहेव जाव विहरंति । भावार्थ समागत राजाओं की आवास व्यवस्था कर राजा पांडु ने हस्तिनापुर नगर में Jain Education International - For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004197
Book TitleGnata Dharmkathanga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages386
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size7 MB
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