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________________ रोहिणी नामक सातवां अध्ययन - भविष्य-चिता : परीक्षण का उपक्रम . ३१५ . __ शब्दार्थ - सुण्हाओ - पुत्र वधुएँ। भावार्थ - धन्य सार्थवाह एवं भद्रा भार्या के चार पुत्र थे, जिनका क्रमशः धनपाल, धनदेव, धनगोप एवं धनरक्षक नाम था। धन्य सार्थवाह के चार पुत्रों की पत्नियाँ-चार पुत्र वधुएँ थी। उज्झिका, भोगवतिका, रक्षिका एवं रोहिणिका-इनके नाम थे। भविष्य-चिंता : परीक्षण का उपक्रम तए णं तस्स धण्णस्स सत्थवाहस्स अण्णया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु अहं रायगिहे णयरे बहूणं राईसर-तलवर जाव पभिईणं सयस्स कुटुंबस्स बहूसु कज्जेसु य करणिज्जेसु य कोडंबेसु य मंतणेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य णिच्छएसु य ववहारेसु य आपुच्छणिजे पडिपुच्छणिजे मेढी पमाणे आहारे आलंबणे चक्खू मेढीभूए, पमाणभूए, आहारभूए, आलंबणभूए, चक्खूभूए सव्व कज्जवट्टावए। तं ण णजइ जं मए गयंसि वा चुयंसि वा मयंसि वा भग्गंसि वा लुग्गंसि वा सडियंसि वा पडियंसि वा विदेसत्थंसि वा विप्पवसियंसि वा इमस्स कुटुंबस्स किं मण्णे आहारे वा आलंबे वा पडिबंधे वा भविस्सइ। तं सेयं खलु मम कल्लं जाव जलंते विपुलं असणं ४ उवक्खडावेत्ता मित्तणाइ० चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गं आमंतेता तं मित्तणाइणियगसयण० चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गं विपुलेणं असणेणं ४ धूवपुप्फवत्थगंध जाव सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्तणाइ चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स पुरओ चउण्हं सुण्हाणं परिक्खणट्ठयाए पंच पंच सालिअक्खए दलइत्ता जाणामि ताव का किहं वा सारक्खेइ वा संगोवेइ वा संवड्लेइ वा? - शब्दार्थ - णजई - जाना जाता, गयंसि - चले जाने पर, चुयंसि - च्युत हो जाने पर, मयंसि - मर जाने पर, भग्गंसि - भग्न हो जाने पर-विकलांग हो जाने पर, लुग्गंसि - रुग्ण हो जाने पर, सडियंसि - सड़ जाने पर, व्याधि विशेष से जीर्ण हो जाने पर, पडियंसि - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004196
Book TitleGnata Dharmkathanga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages466
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size9 MB
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