________________
शैलक नामक पांचवाँ अध्ययन - मंत्रियों सहित राजा शैलक की प्रव्रज्या
२६५
शब्दार्थ - ठावेत्ता - स्थापित कर।
भावार्थ - तब राजा शैलक ने पंथक आदि पांच सौ मंत्रियों से कहा - देवानुप्रियो! आप भी संसार-भय से उद्विग्न हैं, यावत् प्रव्रजित होना चाहते हैं तो जाओ अपने-अपने कुटुम्बों में अपने-अपने ज्येष्ठ पुत्रों को परिवार का उत्तरदायित्व सौंप कर, हजार-हजार पुरुषों द्वारा वहन करने योग्य शिविकाओं पर आरूढ़ होकर मेरे पास आओ। मंत्रियों ने जैसा राजा ने कहा, किया और उसके पास उपस्थित हुए।
(५६) । तए णं से सेलए राया पंच मंतिसयाई पाउन्भवमाणाई पासइ, पासित्ता हट्टतुट्टे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! मंडुयस्स कुमारस्स महत्थं जाव रायाभिसेयं उवट्ठवेह० अभिसिंचई जाव राया जाए जाव विहरइ। __भावार्थ - राजा शैलक ने जब पांच सौ मंत्रियों को आया हुआ देखा तो वह हर्षित और परितुष्ट हुआ। उसने सेवकों को बुलाया और आदेश दिया-'देवानुप्रियो! राजकुमार मण्डुक के राज्याभिषेक की विशाल तैयारी करो और ऐसा कर मुझे सूचित करो।' तदनुसार राजकुमार मण्डुक का अभिषेक हुआ वह राजा हो गया तथा राज्य का उत्तरदायित्व संभाल लिया। .
. तए णं से सेलए मंडुयं रायं आपुच्छइ। तए णं से मंडुए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सहावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव सेलगपुरं णयरं आसिय जाव गंधवटिभूयं करेह य कारवेह य क० २ त्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। तए णं से मंडुए दोच्चंपि कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव सेलगस्स रण्णो महत्थं जाव णिक्खमणाभिसेयं जहेव मेहस्स तहेव णवरं पउमावई देवी अग्गकेसे पडिच्छइ सव्वेवि पडिग्गहं गहाय सीयं दुरूहंति अवसेसं तहेव जाव सामाइयमाइयाइं एक्कारस अंगाई अहिजइ २ ता बहूहिं चउत्थ जाव विहरइ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org